ओहियो स्टेट ट्रेजरर के 2026 चुनाव के उम्मीदवार और भारतीय-अमेरिकी नेता नीरज अंतानी ने ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा डायवर्सिटी, इक्विटी और इन्क्लूजन (DEI) कार्यालय को बंद करने के फैसले का समर्थन किया है। यह निर्णय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस द्वारा संघीय स्तर पर DEI कार्यक्रमों को समाप्त करने वाले कार्यकारी आदेश के अनुरूप लिया गया है। अंतानी ने इस फैसले को एक सकारात्मक कदम बताते हुए कहा कि मेरिट के आधार पर काम मिलना चाहिए, न कि पहचान के आधार पर।
नीरज अंतानी ने हाल ही में X पर अपने कॉलेज आवेदन का अनुभव साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि 2008 में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में अल्पसंख्यकों के लिए 'मॉरिल स्कॉलरशिप प्रोग्राम' था। इस स्कॉलरशिप के लिए आवेदक को 'डायवर्सिटी' प्रदर्शित करनी होती थी, जिससे वे असहज महसूस कर रहे थे। उन्होंने लिखा, "मैं चाहता था कि मेरी काबिलियत के आधार पर आकलन हो, न कि मेरी त्वचा के रंग के आधार पर।" इसके बावजूद, उन्होंने स्कॉलरशिप के खिलाफ एक निबंध लिखा और फिर भी उन्हें यह स्कॉलरशिप मिल गई।
अंतानी का मानना है कि DEI की मानसिकता समाज के लिए हानिकारक है और इसे खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "DEI समाज में कृत्रिम विभाजन पैदा करता है और योग्यता को दरकिनार कर देता है। हमें हमेशा काबिलियत के आधार पर आंका जाना चाहिए, न कि किसी अन्य पहचान के आधार पर।" उनके अनुसार, ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा DEI कार्यालय को बंद करना एक जरूरी और सही फैसला है।
उन्होंने उन राजनीतिक नेताओं पर भी निशाना साधा, जो हाल ही में DEI के खिलाफ बोलने लगे हैं। अंतानी ने कहा, "जो नेता अब अचानक से DEI का विरोध कर रहे हैं, वे पहले कहां थे? हमें ऐसे नेताओं को संदेह की नजर से देखना चाहिए।" उनका मानना है कि यह मुद्दा सिर्फ एक राजनीतिक एजेंडा नहीं, बल्कि समाज की दिशा तय करने वाला विषय है।
ट्रंप प्रशासन द्वारा संघीय स्तर पर DEI कार्यक्रमों को खत्म करने और कुछ राज्यों में इसे बंद करने की नीतियों से यह बहस और तेज हो गई है। DEI समर्थकों का कहना है कि इससे वंचित वर्गों को अवसर मिलते हैं, जबकि विरोधियों का मानना है कि यह योग्यता आधारित प्रणाली को कमजोर करता है। अंतानी जैसे नेताओं का तर्क है कि DEI के बजाय योग्यता और प्रतिभा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
DEI को लेकर अमेरिका में जारी यह बहस शिक्षा और नौकरियों में समानता बनाम योग्यता के मुद्दे को उजागर कर रही है। ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी का यह फैसला भविष्य में अन्य संस्थानों के लिए एक उदाहरण बन सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में DEI के पक्ष और विपक्ष में किसका प्रभाव अधिक पड़ता है और यह नीति कितने राज्यों में जारी रहती है।
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