बॉलीवुड के स्टार एक्टर और फिल्म निर्माता आमिर खान पिछले चार दशकों से अधिक समय से भारतीय फिल्म उद्योग में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। कोरोना महामारी के दौरान एक समय ऐसा आया था, जब उन्होंने फिल्मी दुनिया को अलविदा कहने का मन बना लिया था। हालांकि अब उनका फैसला बदल गया है।
बॉलीवुड के तीन खान में से एक आमिर खान ने लंदन में एएफपी से बातचीत में कहा कि वह कोविड का दौर था। मैं बहुत सी चीजों के बारे में सोच रहा था। मैंने महसूस किया कि मैं अपनी पूरी एडल्ट लाइफ सिनेमा की इस जादुई दुनिया में बिता चुका हूं।
उन्होंने आगे कहा कि उस समय मेरे अंदर ऐसा अहसास था, जिससे उबरना मुश्किल हो रहा था। मैं बहुत ही गिल्ट फील रहा था। मेरी क्विक रिएक्शन यही था कि मैं फिल्मों के लिए पर्याप्त काम कर चुका हूं। मैंने मन ही मन सोच लिया था कि मैंने सबकुछ छोड़ दिया है। हालांकि फिर मुझे लगा कि नहीं, ऐसा नहीं हुआ है।
आमिर के फिल्मी जगत में वापसी के इस फैसले में उनके दोनों बच्चों और परिवार का योगदान रहा। अब मार्च में 60 वर्ष के होने जो रहे आमिर खान कुछ और समय तक एक्टिंग और प्रोडक्शन जारी रखना चाहते हैं।
वह अपनी कंपनी आमिर खान प्रोडक्शंस का इस्तेमाल नई प्रतिभाओं को मौका देने के मंच के रूप में भी करना चाहते हैं। ऐसी प्रतिभाएं जो उन्हीं की तरह संवेदनशील हों और ऐसी कहानियों को बताना चाहती हों जो मुझे प्रभावित करती हैं।
1970 के दशक में एक बाल कलाकार के रूप में शुरुआत करने आमिर खान ने लंबा सफर तय किया है। उन्होंने लगान और लापता लेडीज जैसी फिल्में बनाई हैं, जिन्हें ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया जा चुका है। इनके अलावा '3 इडियट्स', 'दंगल' और 'तारे जमीं पर' जैसी तमाम शानदार फिल्में उनके खाते में हैं।
ऑस्कर में नामित अपनी फिल्म लापता लेडीज के प्रचार के सिलसिले में कुछ समय पहले लंदन आए आमिर खान ने कहा कि मुझे अलग अलग तरह की फिल्में बनाना पसंद है। मुझे कहानियों में प्रयोग करना अच्छा लगता है। मैं चाहता हूं कि मैं खुद को और दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दूं।
दर्जनों फिल्म पुरस्कार और भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण जीतने के बावजूद आमिर खान का अभी भी फिल्मों में सफलता को लेकर अपना अलग नजरिया है।
वह कहते हैं कि फिल्म निर्माण काफी मुश्किल काम है। इतने सारे कला के रूपों को एक कहानी के माध्यम से पेश करना आसान नहीं है। इसलिए मैं हर उस फिल्म को देखता हूं जिसे हमने बनाया है और फिर मैं उस स्क्रिप्ट को देखता हूं और पूछता हूं कि क्या ये फिल्म वैसी ही बनी है, जैसी कि हमने सोची थी। ...और अगर ऐसा वाकई होता है तो हम बड़ी राहत महसूस करते हैं।
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