भारत के जाने-माने आध्यात्मिक गुरु श्री मधुसूदन साई ने कहा कि अमेरिका में हेल्थकेयर सिस्टम दुनिया के सबसे बेहतरीन सिस्टम्स में से एक है। लेकिन इसके बावजूद ये उन लोगों की मदद नहीं कर पाता, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। साई ने कहा, 'अमेरिका के पास दुनिया का एक बेहतरीन हेल्थकेयर सिस्टम है, लेकिन ये बराबरी वाला नहीं है। ये सबके लिए उपलब्ध नहीं है, सबके लिए किफायती नहीं है।”
साई ये बातें 'एन इवनिंग डिवाइन' नाम के एक फंडरेजिंग इवेंट के मौके पर कह रहे थे। इसे WHEELS और OWOF फाउंडेशन ने मिलकर आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में क्रिकेट के दिग्गज सुनील गावस्कर और मानवसेवी श्री मधुसूदन साई शामिल हुए। यह कार्यक्रम 10 अप्रैल को आयोजित हुआ था। इसका मकसद भारत के ग्रामीण इलाके में 600 बेड का एक बिल्कुल मुफ्त मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल बनाना है, जो नवंबर 2025 में शुरू होगा।
पिछले सात वर्षों से साई का विश्वव्यापी मिशन आध्यात्मिक मूल्यों और सामाजिक बराबरी के आदर्शों से प्रेरित होकर अमेरिका में मिसिसिपी राज्य के क्लार्क्सडेल शहर में एक मुफ्त क्लीनिक चला रहा है। क्लार्क्सडेल मुख्य रूप से अफ्रीकी-अमेरिकी आबादी वाला इलाका है। यहां ज्यादातर लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है।
साई ने कहा, 'यहां के लोग तो अस्पताल तक आते ही नहीं हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि वे इलाज के लिए जरूरी पैसा नहीं दे पाएंगे। इसलिए हमारा मुफ्त क्लीनिक उनके लिए बहुत बड़ा सहारा बन गया है। हमने मरीजों को दवाएं, लैब टेस्ट और डॉक्टरों की सलाह, सब कुछ बिल्कुल मुफ्त दिया। हमने मरीजों के लिए क्लीनिक तक लाने-ले जाने के लिए शटल सर्विस भी दी है।'
इस हफ्ते, साई फिर से अमेरिका आए हुए हैं। वे क्लार्क्सडेल शहर में 'श्री सत्य साईं सेंटर फॉर मदर ऐंड चाइल्ड' नाम के एक नए अपग्रेड किए गए सेंटर का उद्घाटन करने वाले हैं। उनके फाउंडेशन ने इस सेंटर को बेहतर बनाने के लिए 10 लाख डॉलर (करीब 8 करोड़ रुपये) दिए हैं। यह सेंटर स्थानीय सरकारी अस्पताल के साथ मिलकर मां और बच्चे की सेहत की सुविधाएं बेहतर करेगा।
उन्होंने कहा, 'सिर्फ उत्तरी अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरे अमेरिका में कई जगहें ऐसी हैं जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की बहुत कमी है।' उन्होंने बताया, 'क्लार्क्सडेल में, स्वास्थ्य सेवा का सिस्टम पुराना था, इमारतें पुरानी थीं और उपकरण तो सालों से ठीक ही नहीं किए गए थे।'
साई ने देखा कि बुनियादी ढांचा तो खराब था ही। इससे भी ज्यादा एक गहरी समस्या आम लोगों में जागरूकता और स्वास्थ्य को लेकर सक्रियता की कमी थी। उन्होंने कहा, 'लोग झिझकते हैं। शायद इस डर से कि अगर उन्हें कोई बीमारी निकल गई, तो वे इलाज का खर्च नहीं उठा पाएंगे। या फिर वे बस सोचते हैं, मुझे अपनी जांच कराने की जरूरत ही क्या है?'
उनका मानना है कि बेहतर सामुदायिक स्वास्थ्य शिक्षा से इसे रोका जा सकता है। उन्होंने कहा, 'यह सरकार के उन कार्यक्रमों का हिस्सा होना चाहिए था, जिनसे लोगों को अपनी सेहत की आदतों के बारे में सीखने में मदद मिलती।'
साई की ये टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब अमेरिका में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बढ़ती असमानता एक बड़ी समस्या बनी हुई है। क्लार्क्सडेल दौरे के अलावा, साई इस वीक वॉशिंगटन डी.सी. में भी थे। वहां उन्होंने अपना सातवां 'पीपलशोर्स' PeopleShores सेंटर खोला। यह एक ऐसी पहल है जो अमेरिका के कमजोर तबके के युवाओं को AI, साइबर सुरक्षा और डेटा एनालिसिस जैसे डिजिटल दुनिया के हुनर सिखाती है।
उन्होंने बताया, 'इन युवाओं को स्थानीय रोजगार विकास कार्यक्रमों के तहत छह महीने की ट्रेनिंग मिलती है।इनमें से कुछ पहले बर्गर बनाने का काम करते थे या टैक्सी चलाते थे। अब उन्हें मॉर्गन स्टेनली, एक्सेंचर और ऐसी ही दूसरी बड़ी कंपनियों में नौकरी मिल गई है।'
PeopleShores पहल के सेंटर पहले से ही अर्कांसस, जॉर्जिया, न्यूयॉर्क और फ्लोरिडा में हैं। इस पहल का मकसद उन लोगों को हुनर (skills) और सम्मान (dignity) दोनों देना है, जो अक्सर संगठित अर्थव्यवस्था से बाहर रह जाते हैं।
साई के लिए, स्वास्थ्य और शिक्षा के ये प्रयास आपस में जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, 'अमेरिका के भीतरी शहरों और ग्रामीण इलाकों में यही समस्या है, जहां युवा पीछे छूट जाते हैं। वे स्कूल पूरा नहीं कर पाते। मुफ्त शिक्षा मिलने के बावजूद भी वे कॉलेज नहीं जाते या बीच में ही छोड़ देते हैं।'
जब उनसे पूछा गया कि अमेरिका में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा को कैसे ठीक किया जाए, तो साई ने ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था में विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'मुझे पता है यह मुश्किल है क्योंकि इसमें ज्यादा मुनाफा नहीं है, लेकिन किसी को तो उनके लिए जाना होगा। इसलिए ऐसी नीतियां बनाना जरूरी है जो इसे बढ़ावा दें।'
दूसरे, उन्होंने कहा कि 'हमें लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सक्रियता (health-seeking behavior) के बारे में शिक्षित करने की जरूरत है। यह नियमित शिक्षा कार्यक्रमों, पारिवारिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का हिस्सा होना चाहिए। इसमें थोड़ा-सा भी निवेश बहुत काम आएगा।'
उनके विचार खास तौर पर आप्रवासी और अफ्रीकी-अमेरिकी समुदायों में जो उन्होंने देखा है, उसी से बने हैं। उन्होंने आगे कहा, 'मैंने ये चीजें वहीं देखी हैं, हालांकि मुझे यकीन है कि दूसरे क्षेत्रों में यह अलग हो सकता है।' आखिर में उन्होंने कहा, 'स्वास्थ्य सेवा हर किसी तक पहुंचनी चाहिए। न सिर्फ सबसे अच्छी, बल्कि सभी को उपलब्ध होनी चाहिए।'
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