दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में छात्रों को आत्महत्या करने से रोकने की एक कोशिश के रूप में NRI डॉक्टरों ने राज्य में एक व्यापक प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया है। कार्यक्रम का नाम है- इमोशनल एसेसमैंट ऑफ स्टूडेंट्स बाय एजुकेटर्स यानी EASE. यह शुरुआत अभी मेडिकल छात्रों के लिए की गई है जो बाद में अन्य धारा के छात्रों को अपने दायरे में ले लेगी।
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गौरतलब है कि छात्रों के बीच आत्महत्याएं सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर हैं। वर्ष 2022 में भारत में 13,044 छात्रों ने आत्महत्या की। यानी हर दिन औसतन लगभग 36 छात्रों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
जब आत्महत्या के कारणों की पहचान करने और फिर उसमें हस्तक्षेप करने की बात आती है तो शिक्षकों और चिकित्सा पेशेवरों के पास न्यूनतम प्रशिक्षण होता है। अध्ययनों से लगातार पता चला है कि आत्महत्या या आत्मघाती व्यवहार के बारे में विचार रखने वाले युवाओं के साथ शुरुआती हस्तक्षेप से आत्मघाती विचारों और व्यवहारों की अवधि और गंभीरता में काफी कमी आती है। यानी अगर शुरुआती रुख को भांप लिया जाए और उचित तरीके से काउंसलिंग की जाए तो आत्मघात की वृत्ति पर किसी न किसी स्तर पर काबू पाया जा सकता है।
इस लिहाज से प्रोजेक्ट EASE छात्रों के बीच आत्महत्या को रोकने में मदद करने के लिए एक सकारात्मक पहल है। इस पहल के तहत सात कॉलेजों में 50 दिनों से भी कम समय में 1000 से अधिक मेडिकल छात्रों को प्रशिक्षित किया गया है।
प्रोजेक्ट EASE आंध्र के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की सलाह के बाद डॉ. रवि कोल्ली की अध्यक्षता में अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (AAPI) के नेतृत्व के माध्यम से विकसित हुआ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम मेडिकल कॉलेजों में आयोजित किया गया था जहां छात्र अलग-अलग तिथियों और समय पर एक साथ एकत्र हुए और एक साथ ऑनलाइन क्यूपीआर गेटकीपर प्रशिक्षण पूरा किया। अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य को साधने के वास्ते अपर्याप्त संसाधनों के कारण भारत में युवाओं में आत्महत्या की दर सबसे अधिक है।
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