8 से 10 जनवरी तक भुवनेश्वर, ओडिशा में होने वाले 18वें प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) सम्मेलन में रजिस्ट्रेशन की बाढ़ आ गई है। उम्मीद है कि इस कार्यक्रम में विदेशों में रहने वाले भारतीयों की रेकॉर्ड संख्या में भागीदारी होगी। तीन दिन के इस सम्मेलन के शुरू होने में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। रोजाना 150 से ज्यादा रजिस्ट्रेशन आ रहे हैं। यह संख्या एक हफ्ते पहले के 40-50 रजिस्ट्रेशन से काफी ज्यादा हैं। ओडिशा सरकार के गृह विभाग के अधिकारियों ने इस बढ़ते रुझान की पुष्टि की है, जो इस कार्यक्रम में दुनिया भर की बढ़ती दिलचस्पी को दिखाता है।
ओडिशा सरकार का लक्ष्य 50 से अधिक देशों से 3500 गैर-निवासी भारतीयों (NRI) को इस सम्मेलन में शामिल करना है। स्थानीय प्रतिभागियों को मिलाकर कुल उपस्थिति लगभग 7500 तक पहुंचने की उम्मीद है। इस बढ़ती दिलचस्पी का मुख्य कारण दक्षिण पूर्व एशिया में रहने वाले भारतीय हैं। इसके बाद खाड़ी देशों और यूरोप के भारतीय हैं। रजिस्ट्रेशन लिस्ट में 30 से ज्यादा देश शामिल हैं, जो इस सम्मेलन के वैश्विक आकर्षण को दर्शाता है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक संदेश में कहा है, 'भारत में न केवल सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, बल्कि यह समुदाय अपनी मातृभूमि से सबसे ज्यादा जुड़ा हुआ भी है। देश में होने वाले विकास, उपलब्धियां या चुनौतियां विदेशों में भी बारीकी से देखी जाती हैं। हर दो साल में होने वाला हमारा प्रवासी भारतीय दिवस समारोह, रिश्तों को मजबूत करने और नेटवर्किंग को बढ़ाने का एक अच्छा अवसर है।'
9 जनवरी, 1915 को महात्मा गांधी का दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आने का दिन है। इस दिन को याद करने के लिए विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय के भारत के विकास में योगदान को मान्यता देने के लिए पहला प्रवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी, 2003 को मनाया गया था। 2015 से, प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन हर दो साल में आयोजित किया जाता रहा है। अब तक कुल 17 प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन हो चुके हैं। 17वां सम्मेलन 8 से 10 जनवरी, 2023 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। इस साल के सम्मेलन की थीम है, 'विकसित भारत में प्रवास भारतीयों का योगदान।'
ओडिशा के लिए ऐतिहासिक आयोजन
पहली बार भुवनेश्वर प्रवासी भारतीय दिवस की मेजबानी कर रहा है। राज्य इस आयोजन से एक स्थायी छाप छोड़ने को उत्सुक है। दक्षिण पूर्व एशिया के सामने ओडिशा का 482 किलोमीटर लंबा समुद्र तट, अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव के लिए राज्य को एक प्रमुख द्वार के रूप में स्थापित करता है। सरकार का लक्ष्य इस आयोजन का उपयोग पर्यटन, बंदरगाह ढांचे और अन्य क्षेत्रों में बड़े निवेश को आकर्षित करने के लिए करना है।
इस आयोजन में रुचि दिखाने वाले एनआरआई में केरल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के लोग प्रमुख हैं। साथ ही ओडिशा के भी बड़ी संख्या में प्रतिभागी हैं। राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत, इसकी आर्थिक क्षमता के साथ मिलकर, इसे इस प्रतिष्ठित सभा के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है।
सम्मेलन की शुरुआत 8 जनवरी को युवा प्रवासी भारतीय दिवस से होगी। इसके बाद 9 जनवरी को मुख्य कार्यक्रम होगा। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। यह समारोह 11 जनवरी को प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार समारोह के साथ समाप्त होगा, जहां भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु समापन भाषण देंगी।
मुख्य सम्मेलन के अलावा, भुवनेश्वर इस सभा को और भी यादगार बनाने के लिए कई सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों की मेजबानी करेगा। इनमें एक नाईट फ्ली मार्केट, एक आदिवासी मेला और एक खाद्य महोत्सव शामिल है, जो प्रतिभागियों को स्थानीय संस्कृति और खानपान का पता लगाने का अवसर प्रदान करेगा।
ओडिशा के पर्यटन को फायदा
एनआरआई की बढ़ती भागीदारी का ओडिशा के पर्यटन क्षेत्र पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। पुरी और कोणार्क जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में कैब और होटलों की बुकिंग में इजाफा राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत में बढ़ती रुचि को दर्शाता है।
ओडिशा यूनेस्को द्वारा सूचीबद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर, पुरी में पवित्र जगन्नाथ मंदिर और चांद्रभाग, गोपालपुर और पुरी बीच जैसे प्राचीन समुद्र तटों के लिए जाना जाता है। सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक आकर्षणों के अनोखे मिश्रण के साथ, ओडिशा उन यात्रियों के लिए एक अवश्य जाने योग्य गंतव्य बनता जा रहा है जो वास्तविक अनुभवों की तलाश में हैं।
ओडिशा का पर्यटन केवल इसके प्रसिद्ध स्थलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक हस्तशिल्प भी इसका अहम हिस्सा हैं। यह राज्य अपने संबलपुरी कपड़ों, जटिल पत्थर की नक्काशी और पट्टचित्र चित्रों के लिए जाना जाता है, जो दुनिया भर के संग्रहकर्ताओं और कला प्रेमियों द्वारा पसंद किए जाते हैं। दुर्गा पूजा, राजा और छऊ नृत्य प्रदर्शन जैसे त्योहारों के दौरान दिखाई देने वाली ओडिशा की उत्सवी भावना इसके सांस्कृतिक आकर्षण में एक और परत जोड़ती है।
18वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह वैश्विक एनआरआई को अपनी जड़ों से फिर से जोड़ने और सहयोग और विकास के नए अवसरों का पता लगाने का एक मंच प्रदान करता है।
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