TIE-NJ चैप्टर के प्रेसिडेंट के रूप में मेरी प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक Listener-in-Chief यानी मुख्य श्रोता बनना भी है। हर हफ्ते सदस्यों या उनके बच्चों से मुझे 10-15 ईमेल और 5-6 कॉल आते हैं। इनमें किसी विषय पर सलाह मशवरा या फिर भविष्य की योजनाओं पर विचार विमर्श शामिल होता है। हाल में मैंने महसूस किया है कि कई सदस्य अपनी नौकरी जाने से या उनके स्टार्टअप संकट में आने से बेहद चिंता में हैं।
9/11, 2007-08 के वित्तीय संकट और कोरोना महामारी जैसे तीन बड़े संकटों का सामना कर चुके इंसान के रूप में मैं इस पर अपना नजरिया साझा करना चाहता हूं।
माइक टायसन ने एक बार कहा था कि मुक्का खाने से पहले हर किसी का एक प्लान होता है। यह चर्चित वाक्य आज के संदर्भ में खासतौर से प्रासंगिक है। एआई से बिजनेस मॉडल्स में उथल-पुथल, नौकरियों की अप्रत्याशित छंटनी, महंगाई, फंडिंग में कटौती, इमिग्रेशन संबंधी चुनौतियां, लोगों में नाराजगी और शेयर बाजारों में उथल-पुथल... ये सभी "मुक्कों" की तरह हैं जिनका सामना हम कर रहे हैं।
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हम अक्सर इनके लिए किसी राजनीतिक संगठन या समूह को दोष देने लग जाते हैं लेकिन असलियत ये है कि हम तकनीकी बदलाव, राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक उथल-पुथल के एक वैश्विक पड़ाव से गुजर रहे हैं। यह संकट इतना व्यापक है कि दुनिया भर में सत्ताधारी ताकतों को जनता द्वारा हटा दिया जा रहा है। बहुत से प्रोफेशनल्स, बिजनेसमैन तलवार की धार पर हैं।
इस सबके बीच एक बात साफ है कि इसका कोई आसान समाधान नहीं है। अधिकांश नेता और निर्वाचित पदाधिकारी चाहे वो किसी भी राजनीतिक दल से हों, लोगों को इस संकट से उबरने में मदद करने के लिए पर्याप्त साहस या संसाधन नहीं दिखा पा रहे हैं। ऐसे में हमें माइक टायसन के शब्दों से खुद ही सीख लेनी चाहिए। असली सवाल यह नहीं है कि आपको मुक्का लगा या नहीं बल्कि यह है कि जब वह लगे तो आप किस तरह फिर से उठ खड़े हों और आगे बढ़ें।
ऐसा कैसे किया जाए? इस सवाल का कोई सीधा सपाट जवाब नहीं है। अपनी बात करूं तो मैंने पिछले कुछ वर्षों में कुछ कदम उठाए हैं, जैसे कि एआई की उथल-पुथल मचाने वाले ताकत का अनुमान लगाते हुए मैंने अपना स्टार्टअप लॉन्च करने की योजना को टाल दिया है। इसके बजाय मैंने एक लेखक बनने के अपने सपने को पूरा करने में समय लगाया। हालांकि एआई ने पारंपरिक लेखन और पब्लिकेशन मॉडल को भी बदल दिया है।
पिछले साल, ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण मैंने अपना घर का लोन चुकता कर दिया और अपने निवेश पोर्टफोलियो में नकदी की हिस्सेदारी बढ़ा दी। मैंने शिक्षण की जिम्मेदारियों से कुछ समय निकालकर अपने स्किल्स सीखने और एक प्रोफेसर व मेंटर के रूप में नयापन लाने का प्रयास किया। कुछ भी परफेक्ट नहीं होता, लेकिन मेरे पिछले अनुभव ने संकट के समय के लिए ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार होने में मदद की है।
मेरा मानना है कि यही वह समय है जब हमें अपनी कम्युनिटी और प्रोफेशनल नेटवर्क की तरफ विनम्रता से गौर करना चाहिए। सहायता, सलाह मांगने में झिझकना नहीं चाहिए। संपर्क बनाने के लिए केवल फोन करने में भी कोई बुराई नहीं है। मेरे ख्याल से एक अच्छे नेटवर्क की यही असल ताकत होती है।
आखिर में यही कहूंगा कि माइक टायसन की सलाह को याद रखें कि संकट तो आएंगे लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि आप उनसे क्या सीखते हैं और आगे क्या करते हैं। यही आपके असली कैरेक्टर को दिखाता है।
(लेखक डॉ. सुरेश यू. कुमार NJIT में प्रोफेसर हैं और TIE-NJ चैप्टर के प्रेसिडेंट हैं। लेख में व्यक्त विचार उनके अपने हैं और संबंधित संगठनों से उनका कोई लेना-देना नहीं है।)
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