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प्रवासी मतदाताः रजिस्ट्रेशन में आगे, मगर वोट डालने में नहीं; चुनाव आयोग ने दिखाई असलियत

आयोग के मुताबिक, 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए 1,19,374 ओवरसीज मतदाताओं ने पंजीकरण कराया था, लेकिन वोट डालने वालों की संख्या इससे काफी कम रही। 

एनआरआई वोटरों ने रजिस्ट्रेशन कराने में 2019 के मुकाबले इस बार अधिक उत्साह दिखाया। / Image : bel-india.in

भारत में होने वाले चुनावों में अनिवासी भारतीय (एनआरआई) के मतदान को लेकर भारतीय निर्वाचन आयोग ने नए आंकड़े जारी किए हैं। इनसे जाहिर है कि एनआरआई रजिस्ट्रेशन कराने में तो सक्रिय हैं, लेकिन वोट डालने में पीछे रह जाते हैं।  

आयोग के मुताबिक, 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए 1,19,374 ओवरसीज मतदाताओं ने पंजीकरण कराया था, लेकिन वोट डालने वालों की संख्या इससे काफी कम रही। 

रजिस्ट्रेशन कराने में एनआरआई वोटरों ने 2019 के मुकाबले इस बार अधिक उत्साह दिखाया। 2019 में जहां 99,844 विदेशी वोटरों ने पंजीकरण कराया था, वहीं 2024 में उनकी संख्या 19,500 अधिक रही। 

राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश में कुल 7,927 प्रवासी मतदाताओं ने पंजीकरण कराया था, लेकिन इसमें से केवल 195 मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इनमें 154 पुरुष और 41 महिलाएं थीं। प्रतिशत में देखें तो यह केवल 2.5 प्रतिशत ही है।

असम और बिहार में भी वोट देने वाले एनआरआई की संख्या शून्य रही। यहां क्रमशः 19 और 89 पंजीकृत मतदाता थे, लेकिन दोनों राज्यों में वोट देने कोई नहीं आया। अरुणाचल प्रदेश में कोई प्रवासी मतदाता नहीं था। 

गोवा में 84 विदेशी मतदाता थे, जिनमें से किसी ने वोट नहीं डाला। गुजरात में 885 विदेशी मतदाता रजिस्टर्ड थे, लेकिन केवल 2 ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसी तरह हरियाणा के 746 मतदाताओं में से 37 ने वोट डाले। हिमाचल और मध्य प्रदेश में भी क्रमशः 34 और 107 मतदाताओं ने पंजीकरण कराया था, लेकिन वोट देने कोई नहीं आया। 

प्रवासी मतदाताओं के मामले में केरल सबसे आगे है। यहां 89,839 एनआरआई वोटर रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से 2,670 ने वोट डाले। कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में भी कम भागीदारी रही। 

ओडिशा में 197 प्रवासी मतदाता थे, लेकिन वोट डालने वालों की संख्या शून्य रही। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे राज्यों में भी यही रवैया देखा गया। चंडीगढ़ में कुल 64 मतदाताओं में से केवल एक वोट पड़ा। 

वोटर पंजीकरण में वृद्धि के बावजूद 2024 के लोकसभा चुनावों में प्रवासी भारतीयों के मतदान का ट्रेंड निराशाजनक रहा। कई राज्यों में तो एक भी एनआरआई ने वोट नहीं डाला। इसकी प्रमुख वजह वोट डालने में चुनौतियां से लेकर जागरूकता या रुचि की कमी बताई जाती है।

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