प्रवासी भारतीयों को अनिवासी भारतीय (एनआरआई) जमा योजनाएं काफी लुभा रही हैं। इसका सबूत है वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल से अक्टूबर के बीच एनआरआई जमा योजनाओं में किया गया निवेश। आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल की तुलना में इस बार लगभग दोगुना निवेश हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से जारी आंकड़ों में भारत के बैंकिंग क्षेत्र में एनआरआई निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि को रेखांकित किया गया है। बताया गया है कि इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से अक्तूबर के बीच एनआरआई जमा योजनाओं में लगभग 12 बिलियन डॉलर का योगदान मिला। यह पिछले वर्ष इसी अवधि में जमा 6.11 बिलियन डॉलर का लगभग दोगुना है।
आगे बताया गया कि अक्टूबर 2024 तक एनआरआई डिपॉजिट की कुल रकम 162.69 बिलियन डॉलर थी। पिछले साल अक्टूबर 2023 में जमा रकम देखें तो यह 143.48 बिलियन डॉलर थी। खास बात ये है कि सिर्फ अक्टूबर में ही प्रवासी भारतीयों द्वारा एक बिलियन डॉलर से अधिक की रकम जमा की गई है।
आरबीआई की तरफ से बताया गया कि एनआरआई जमा योजनाओं की तीन मुख्य श्रेणियों में सबसे ज्यादा डिपॉजिट हुए हैं। ये श्रेणियां हैं- विदेशी मुद्रा अनिवासी (एफसीएनआर), अनिवासी बाहरी (एनआरई) और अनिवासी साधारण (एनआरओ) जमा योजनाएं ।
एफसीएनआर जमा योजनाओं में अप्रैल से अक्टूबर के बीच करीब 6.1 अरब डॉलर की रकम जमा हुई है। यह अन्य योजनाओं में सबसे अधिक है। पिछले साल इसी अवधि में कुल 2.06 अरब डॉलर जमा हुए थे। इन्हें मिलाकर अब एफसीएनआर अकांट्स में कुल जमा राशि 31.87 अरब डॉलर हो गई है।
एफसीएनआर खातों में एनआरआई को एक से पांच साल तक अपनी विदेशी मुद्रा को सावधि जमा योजनाओं में रखने की अनुमति होती है। ये मुद्रा की वैल्यू में उतार-चढ़ाव से भी सुरक्षा प्रदान करती है। आरबीआई ने हाल ही में एफसीएनआर खातों पर मिलने वाले ब्याज की दरों में बढ़ोतरी की थी। इसका मकसद डॉलर की आमद को प्रोत्साहित करना और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के अवमूल्यन को सपोर्ट प्रदान करना था।
ऊंचा रिटर्न देने वाले एनआरई डिपॉजिट योजनाओं में अप्रैल-अक्टूबर अवधि में 3.09 अरब डॉलर का निवेश आया जो कि एक साल पहले के 1.95 अरब डॉलर से काफी अधिक है।
इसी तरह भारत में अर्जित आमदनी को कवर करने वाले एनआरओ डिपॉजिट योजनाओं में इसी अवधि के दौरान 2.66 अरब डॉलर जमा किए गए जबकि पिछले साल यह रकम 2 अरब डॉलर थी।
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