ADVERTISEMENTs

NRI से संबंधित मुद्दों का तुरंत समाधान जरूरी, संसदीय समिति की रिपोर्ट

समिति ने अपनी रिपोर्ट में एनआरआई की एकमान्य परिभाषा, वोटिंग राइट्स जैसे मुद्दे उठाए हैं।

इस संसदीय समिति के अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी के सांसद शशि थरूर हैं। / Image : @ShashiTharoor

भारत में कांग्रेस पार्टी के सांसद शशि थरूर के नेतृत्व वाली एक संसदीय समिति ने अनिवासी भारतीयों (NRI) से जुड़े गंभीर मुद्दों को उजागर करते हुए एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में परिभाषागत संबंधी अस्पष्टता को दूर करने और मतदान अधिकारों का विस्तार करने के लिए तत्काल सुधारों की जरूरत पर जोर दिया गया है।  

रिपोर्ट में बताया गया है कि विभिन्न सरकारी अधिनियमों और राज्य कानूनों में एनआरआई की कोई एकमान्य परिभाषा नहीं है। एक से अधिक परिभाषाएं होने से कई तरह की व्याख्याओं की गुंजाइश बनती है जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया और सेवाओं की उपलब्धता प्रभावित होती है। समिति ने विदेश मंत्रालय से एकमान्य परिभाषा तैयार करने की सिफारिश की है ताकि सभी कानूनी ढांचों में इसका समान और स्पष्ट उपयोग हो सके।  

ये भी देखें- अमेरिका को 2026 के लिए H-1B वीज़ा के पर्याप्त आवेदन मिले: USCIS

रिपोर्ट का एक प्रमुख मुद्दा एनआरआई वोटिंग राइट्स से भी जुड़ा है। 2010 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करके अनिवासी भारतीयों को कुछ हद तक मतदान अधिकार दिए गए थे, लेकिन भारत में मौजूद रहकर मतदान करने की अनिवार्यता के कारण अधिकांश प्रवासी वोटिंग से वंचित रह जाते हैं।  

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत आकर मतदान करना काफी जटिल और महंगा है जिसके कारण अनिवासी मतदाताओं में से बहुत ही कम लोग वोट डालने के लिए भारत आ पाते हैं। यह एनआरआई की चुनावी भागीदारी को सीमित करने वाला कदम है। 

समिति ने इलेक्ट्रॉनिक पोस्टल बैलट सिस्टम (ETPBS) जैसे वैकल्पिक मतदान सिस्टम की संभावनाओं की जांच करने का सुझाव दिया।  उन्होंने विदेश मंत्रालय से आग्रह किया कि वह कानून एवं न्याय मंत्रालय, चुनाव आयोग और अन्य संबंधित निकायों के साथ मिलकर इन सुधारों के लिए स्पष्ट समय-सीमा तय करे।  

समिति ने भारतीय प्रवासियों की सटीक आबादी के बारे में विश्वसनीय आंकड़े उपलब्ध न होने का मुद्दा भी उठाया। वैसे तो आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारतीय प्रवासी की संख्या 3.54 करोड़ बताई जाती है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों से यह काफी अलग है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि दूतावासों में पंजीकरण स्वैच्छिक होने और डेटा कलेक्शन केवल इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड (ECR) देशों तक सीमित होने के कारण जानकारी अधूरी रहती है। यह काफी चिंताजनक है कि विदेश मंत्रालय के पास भारतीय प्रवासी का कोई प्रामाणिक डेटा उपलब्ध नहीं है।  

समिति ने विदेश मंत्रालय और ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन को प्रवासियों और लौटने वाले भारतीयों की उसी समय जानकारी इकट्ठा करने का सिस्टम बनाने का सुझाव दिया। समिति ने विश्वसनीय डेटा संग्रह को नीति निर्माण और प्रवासी कल्याण योजनाओं के लिए अनिवार्य बताया।  

रिपोर्ट में भारतीय प्रवासियों के अधिकारों और उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेने की अपील भी की गई है। कहा गया है कि भारत की वैश्विक पहचान और प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह जरूरी है कि सुधार शीघ्र लागू किए जाएं।  समिति ने भरोसा दिलाया कि वह इस मुद्दे पर नजर बनाए रखेंगे और एनआरआई समुदाय को उनके हक दिलाने के लिए कार्य करते रहेंगे।

Comments

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video

 

Related