1985 के एयर इंडिया (कनिष्क) बम विस्फोट की नई जांच की मांग को लेकर लिबरल सांसद सुख धालीवाल ने हाउस ऑफ कॉमन्स में पेश किया। धालीवाल का कहना है कि 4,238 कनाडाई नागरिकों ने इस याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। यह याचिका ब्रिटिश कोलंबिया के डेल्टा के गुरप्रीत सिंह ने शुरू की थी। इस साल अगस्त से कनाडा में उन लोगों से समर्थन लिया जो नई जांच की मांग करते हैं। हालांकि सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी में ही इसे लेकर मतभेद है।
सत्तारूढ़ लिबरल दल के ही सदस्य चंद्रा आर्य ने इस याचिका का विरोध किया है। उनका कहना है कि 'कनिष्क बम विस्फोट खालिस्तान समर्थक तत्वों का काम था। उन्होंने कुछ हफ्ते पहले सदन में अपने भाषण में पीड़ितों के कुछ परिजनों की प्रतिक्रिया पर प्रकाश डाला था।
कनाडा की संसद में व्यापक सार्वजनिक हित के मुद्दों पर अपने नागरिकों से याचिकाएं लेने का एक अनूठा प्रोटोकॉल है। सांसद अपने मतदाताओं से प्राप्त ऐसी याचिकाओं को हाउस ऑफ कॉमन्स के माध्यम से सरकार द्वारा कार्रवाई या हस्तक्षेप करने की मांग के लिए पेश करते हैं।
याचिका पेश करते हुए ब्रिटिश कोलंबिया के न्यूटन राइडिंग का प्रतिनिधित्व करने वाले सुख धालीवाल ने कहा कि इस पर 4,200 से अधिक कनाडाई नागरिकों के हस्ताक्षर हैं। इनमें से 2,313 ब्रिटिश कोलंबिया से हैं। इसके बाद 1,088 ओंटारियो से, 432 अल्बर्टा से, 100-100 मणितोबा और क्यूबेक से, 32 सस्केचेवान से, 10 ब्रंसविक से, 20 नोवा स्कोटिया से, छह प्रिंस एडवर्ड आइलैंड से और एक-एक युकोन, नुनावुत और NW टेरिटरीज से हैं।
याचिका में कहा गया है कि 23 जून, 1985 के एयर इंडिया बम विस्फोट में 331 लोगों की मौत हुई थी। यह 9/11 से पहले विमानन आतंकवाद के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी थी। इसमें आगे कहा गया है कि पीड़ितों के परिवार न्याय और शांति के लिए इंतजार कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है, 'हम, कनाडा के नागरिक और स्थायी निवासी, कनाडा सरकार से आग्रह करते हैं कि वह एयर इंडिया घटना की एक नई जांच का आदेश दे जिससे यह पता चल सके कि क्या इस अपराध में किसी विदेशी खुफिया एजेंसी का हाथ था।'
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