रूस के कजान शहर में आयोजित हो रही 16वें ब्रिक्स समिट के सीमित पूर्ण सत्र में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में कहा कि हम युद्ध नहीं, डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन करते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं, जनहितकारी समूह है।
पीआईबी की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिक्स की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब विश्व युद्धों, संघर्षों, आर्थिक अनिश्चितता, क्लाइमेट चेंज, आतंकवाद जैसी अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है। विश्व में नार्थ-साउथ और पूर्व-पश्चिम डिवाइड की बात हो रही है।
उन्होंने कहा कि महंगाई की रोकथाम, फ़ूड सिक्योरिटी, एनर्जी सिक्योरिटी, हेल्थ सिक्योरिटी, वॉटर सिक्योरिटी, सभी देशों के लिए प्राथमिकता के विषय हैं। टेक्नोलॉजी के युग में, साइबर सिक्योरिटी, डीप फेक, गलत सूचनाएं जैसी नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। ऐसे में सभी को ब्रिक्स से बहुत अपेक्षाएं हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि मेरा मानना है कि एक डायवर्स और इन्क्लूसिव प्लेटफॉर्म के रूप में ब्रिक्स सभी विषयों पर सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है। इस संदर्भ में हमारी अप्रोच लोगों को केंद्र में रखकर रहनी चाहिए। हमें विश्व को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं, जनहितकारी समूह है।
भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि हम युद्ध नहीं, डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन करते हैं। जिस तरह हमने मिलकर कोविड जैसी चुनौती को परास्त किया, उसी तरह हम भावी पीढ़ी के सुरक्षित, सशक्त और समृद्ध भविष्य के लिए नए अवसर पैदा करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद और टेरर फंडिंग से निपटने के लिए हम सभी को एक मत होकर दृढ़ता से सहयोग देना होगा। ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं है। हमारे देशों के युवाओं में रेडिकलाइजेशन को रोकने के लिए हमें सक्रिय कदम उठाने चाहिए। इसी तरह साइबर सिक्यूरिटी, सेफ एंड सिक्योर एआई के लिए ग्लोबल रेगुलेशन पर काम करना होगा।
पीएम ने कहा कि ब्रिक्स ऐसा संगठन है, जो समय के अनुसार खुद को बदलने की इच्छा-शक्ति रखता है। हमें अपना उदाहरण पूरे विश्व के सामने रखते हुए वैश्विक संगठनों में सुधार के लिए एकमत होकर आवाज़ उठानी चाहिए। हमें यूएन सिक्योरिटी काउंसिल, मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंक्स, WTO जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधारों के लिए समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। ब्रिक्स के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस संगठन की छवि ऐसी न बने कि हम ग्लोबल संस्थानों में रिफॉर्म नहीं बल्कि उन्हें रिप्लेस करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों की आशाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। मुझे खुशी है कि ब्रिक्स के अंतर्गत भी इन प्रयासों को बल मिल रहा है।पिछले वर्ष अफ्रीका के देशों को ब्रिक्स से जोड़ा गया। इस वर्ष भी रूस द्वारा अनेक ग्लोबल साउथ के देशों को आमंत्रित किया गया है। मोदी ने कहा कि ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य होने के नाते भारत अपने दायित्वों का हमेशा निर्वहन करता रहेगा।
My remarks during the BRICS Summit in Kazan, Russia. https://t.co/TvPNL0HHd0
— Narendra Modi (@narendramodi) October 23, 2024
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