व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन के अध्यक्ष रतन अग्रवाल का कहना है कि एक नेता के रूप में सक्रिय कदम उठाने की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्षमता आम लोगों की जरूरतों और चिंताओं के बारे में उनकी समझ में निहित है।
न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ एक साक्षात्कार में अग्रवाल ने कहा कि मुझे लगता है प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश को एक ऐसा नेता मिला है जो जमीन से जुड़ा है। यानी एक औसत व्यक्ति के जीवन से जिसे ऊपर उठने के लिए संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक की यात्रा की ताकि एक आम आदमी के बारे में गहराई से समझा जा सके।
विकास के प्रति प्रधानमंत्री के दूरदर्शी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि उनके सुधार तत्काल भविष्य से आगे बढ़कर अगले पांच दशकों तक फैले हुए हैं।
पिछले दशक में भारत में परिवर्तन
आईआईटी बॉम्बे से स्नातक अग्रवाल 1986 में संयुक्त राज्य अमेरिका में आकर बस गए थे। अग्रवाल बताते हैं कि पिछले दशक में भारत और भारतीयों को लेकर धारणा में कैसे बदलाव आया। बकौल अग्रवाल पहले भारत को पेशेवरों, मुख्य रूप से प्रौद्योगिकीविदों, इंजीनियरिंग प्रतिभाओं के लेंस के माध्यम से जाना जाता था लेकिन उस बिंदु से अब पिछले 10 -12 वर्षों में हमने न केवल आईटी कौशल बल्कि सेवा अर्थव्यवस्था और बैंकिंग कौशल में भी छलांग लगाई है। चिकित्सा सेवाएं, लेखा सेवाएं, विनिर्माण आउटसोर्सिंग, आर एंड डी आउटसोर्सिंग सब में तेज गति से प्रगति की है।
अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि भारत अब पूरी तरह से प्रौद्योगिकी कौशल से सेवा कौशल में बदल गया है। बौद्धिक ज्ञान से संचालित उद्योग अब भारत की ताकत हैं और बाहरी (विदेशी) लोगों के देश को देखने के तरीके के संदर्भ में यह एक बहुत बड़ा परिवर्तन है।
अग्रवाल ने भारत के इस द्रुतगामी परिवर्तन के लिए मोदी की दीर्घकालिक दृष्टि को श्रेय देते हुए कहा कि देश में हमेशा तकनीकी प्रतिभा रही है, लेकिन उस प्रतिभा को तेजी से विकास में तब्दील करना और फिर उसे वैश्विक स्तर पर व्यक्त करना पिछले दशक का मूलभूत परिवर्तन रहा है।
बौद्धिक योगदान देने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका
जब अग्रवाल से भारत के विकास पर प्रवासी भारतीयों के संभावित प्रभाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि देश में पूंजी की नहीं बल्कि विचारों की कमी है। इसीलिए प्रौद्योगिकी, नवाचार और सहयोग के क्षेत्रों में प्रवासी भारतीयों की भागीदारी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा रखता है।
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