भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को मॉरीशस की यात्रा पर जाएंगे, जहां वे दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए चर्चा करेंगे। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में मॉरीशस और ब्रिटेन के बीच चागोस द्वीप समूह को लेकर संभावित समझौते का समर्थन जताया है। प्रधानमंत्री मोदी मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे और वहां के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम से मुलाकात करेंगे। रामगुलाम 2024 में तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं।
चागोस द्वीप समूह विवाद और भारत की रणनीति
चागोस द्वीप समूह, हिंद महासागर में स्थित सात प्रवाल द्वीपों का समूह है, जिसमें 60 से अधिक छोटे-छोटे द्वीप आते हैं। डिएगो गार्सिया, जो इस द्वीप समूह का सबसे बड़ा द्वीप है, 1970 के दशक से ब्रिटेन-अमेरिका का संयुक्त सैन्य अड्डा रहा है।
फरवरी में ट्रम्प ने कहा था कि वह ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच इस सैन्य अड्डे के भविष्य को लेकर किसी भी संभावित समझौते का समर्थन करेंगे। यह भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि भारत ने हमेशा से मॉरीशस के चागोस द्वीप पर दावे का समर्थन किया है। साथ ही, भारत हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए अमेरिका की सैन्य उपस्थिति को भी एक रणनीतिक लाभ के रूप में देखता है।
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भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान मॉरीशस हमें चागोस द्वीप समूह को लेकर अब तक हुई प्रगति से अवगत करा सकता है। हम मॉरीशस को इस मुद्दे पर एक लाभकारी और संतोषजनक समाधान पाने के उसके प्रयासों में सहयोग देना जारी रखेंगे।"
ब्रिटेन ने जबरन किया था विस्थापन
मॉरीशस को 1968 में स्वतंत्रता मिली थी, लेकिन ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह पर नियंत्रण बनाए रखा। 1966 में ब्रिटेन ने डिएगो गार्सिया द्वीप को अमेरिका को लीज पर दिया, जिससे वहां एक प्रमुख सैन्य अड्डे की स्थापना हुई। इसके लिए करीब 2,000 स्थानीय निवासियों को जबरन विस्थापित किया गया।
भारत, अमेरिका और मॉरीशस का रणनीतिक गठजोड़
ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट के इंडो-पैसिफिक सुरक्षा विशेषज्ञ सैमुअल बैशफील्ड का कहना है कि भारत के लिए हिंद महासागर में अमेरिका की सैन्य उपस्थिति चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
भारत ने मॉरीशस के दूरस्थ आगालेगा द्वीप समूह पर समुद्री और हवाई संपर्क को मजबूत करने में मदद की है। विशेषज्ञों के अनुसार, "डिएगो गार्सिया द्वीप भारतीय निगरानी विमानों के लिए एक उपयोगी रनवे हो सकता है, जहां से वे समय-समय पर हिंद महासागर में गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं।"
चीन की बढ़ती मौजूदगी से चिंतित मॉरीशस
मॉरीशस सरकार के एक करीबी सूत्र ने बताया कि, "मॉरीशस, भारत और अमेरिका को एक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है, जिनका लक्ष्य हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी प्रभाव को सीमित करना है।"
गौरतलब है कि चीन ने पिछले कुछ वर्षों में मालदीव से लेकर श्रीलंका तक विभिन्न देशों में बंदरगाहों और राजमार्गों के निर्माण में भारी निवेश किया है, जिससे उसकी हिंद महासागर में मौजूदगी लगातार बढ़ रही है।
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