प्रसिद्धा सुधाकर को हिंदी अध्ययन के लिए इस साल की क्रिटिकल लैंग्वेज स्कॉलरशिप (सीएलएस) के लिए चुना गया है। वह फिलहाल कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के हेंज कॉलेज ऑफ इंफॉर्मेशन सिस्टम्स एंड पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हैं।
सीएलएस प्रोग्राम अमेरिकी विदेश मंत्रालय की अगुआई में एक प्रयास है जिसका उद्देश्य इमर्सिव लैंग्वेज स्टडी के माध्यम से भारतीय-अमेरिकी छात्रों को गहन सांस्कृतिक संबंधों की सुविधा प्रदान करना है।
सुधाकर ने उत्साह के साथ कहा कि हिंदी सीखकर अपनी विरासत के साथ फिर से जुड़ना कुछ ऐसा है जो मैं बचपन से करना चाहती थी। प्रसिद्धा ने कंप्यूटर साइंस और अर्थशास्त्र में पढ़ाई की है।
एक सिविक टेक्नोलोजिस्ट के रूप में वह ऑनलाइन हेट स्पीच और गलत सूचनाओं के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं। उनका कहना है कि सांस्कृतिक बारीकियों को समझने में भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
सुधाकर की इस उपलब्धि में कार्नेगी मेलन में ऑफिस ऑफ अंडरग्रेजुएट रिसर्च एंड स्कॉलर डेवलपमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर पेज ज़ालमैन के मार्गदर्शन की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि मैं प्रसिद्धा के समर्पण से बहुत प्रभावित था। जब हमें पता चला कि उन्हें पुरस्कार के लिए चुना गया है तो मुझे बहुत खुशी हुई।
उन्होंने आगे कहा कि उनके गहन हिंदी अध्ययन से न सिर्फ महत्वपूर्ण शोध कार्यों को बल मिलेगा बल्कि वह अपने भाषाई कौशल, सांस्कृतिक सहानुभूति और दयालुता से सीएलएस के अन्य सदस्यों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेंगी।
सीएलएस कार्यक्रम के लिए अमेरिकी सरकार द्वारा धन आवंटित किया जाता है। अमेरिकन काउंसिल फॉर इंटरनेशनल एजुकेशन इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन पर नजर रखती है। साथ ही अमेरिकी छात्रों को भाषा में प्रवीणता हासिल करने और विभिन्न सांस्कृतियों से रूबरू कराने के लिए भी सक्रिय रहती है।
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