भारत के श्रम-रोजगार, युवा और खेल मामलों के मंत्री मनसुख मंडाविया ने प्रवासी युवाओं से 2047 तक एक विकसित राष्ट्र के रूप में भारत के भविष्य को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभाने का आह्वान किया है।
भारत के ओडिशा राज्य में 8 जनवरी को शुरू हुए 18वें प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) 2025 में 'सीमाओं से परे : वैश्विक दुनिया में प्रवासी युवा नेतृत्व' विषय पर अपने संबोधन में मंडाविया ने कहा कि युवा और प्रवासी विकसित भारत की प्रेरक शक्ति हैं।
2047 के लिए एक दृष्टि
इस अवसर पर मंत्री मंडाविया ने युवा आबादी के जनसांख्यिकीय लाभ पर जोर देते हुए अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी तक विकसित भारत के प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 20 में से 13 भारतीय 35 वर्ष से कम उम्र के हैं। यह एक अद्वितीय ताकत है जिसका हमें नवाचार, नेतृत्व और राष्ट्र निर्माण के लिए लाभ उठाना चाहिए।
मंडाविया ने बताया कि कैसे प्रवासी भारतीयों का वैश्विक प्रदर्शन और अनुभव भारत को वैश्विक नेता बनने की दिशा में प्रेरित कर सकता है। 1915 में महात्मा गांधी की भारत वापसी की तुलना करते हुए मंडाविया ने प्रवासी भारतीयों से अपने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों को राष्ट्र निर्माण में लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अफ्रीका से वापस लौटे गांधीजी की सीख ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को ऊर्जा दी। उसी तरह आज प्रवासी जन भारत के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।
उन्होंने 'ट्वीट फॉर डेवलप्ड इंडिया' प्रतियोगिता जैसी पहल की सराहना की जिसमें 30 लाख से अधिक भारतीय युवाओं को देश के भविष्य के लिए विचार प्रस्तुत करने के लिए शामिल किया गया था। इसमें चयनित प्रतिभागी इस सप्ताह के अंत में राष्ट्रीय युवा महोत्सव में प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं।
मंडाविया ने महामारी के दौरान, विशेषकर वैक्सीन रोलआउट में युवाओं की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारे युवा वैज्ञानिकों और स्वास्थ्यकर्मियों ने सुनिश्चित किया कि देश के सुदूर इलाकों में भी 220 मिलियन खुराकें दी जा सकें।
प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला प्रवासी भारतीय दिवस, भारत की विकास गाथा को आगे बढ़ाने के साथ संबंधों को मजबूत करते हुए वैश्विक भारतीय प्रवासियों के योगदान को मान्यता देता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 जनवरी को इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे।
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