ऐसा लग रहा है कि अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव नतीजों से ज्यादा इस समय दिलचस्प है। इसलिए कि दोनों प्रमुख सियासी दलों में तमाम तरह के विरोधाभास के बावजूद एक पार्टी में चीजें बिल्कुल साफ हैं और दूसरी में हर रोज किसी न किसी घटनाक्रम के बहाने पुरानी अटकलों को आधार मिल रहा है। रिपब्लिकंस में राष्ट्रपति की आधिकारिक उम्मीदवारी से लेकर उप राष्ट्रपति की पसंद भी साफ है जबकि डेमोक्रेट्स में अभी तक शीर्ष पद को लेकर ही उम्मीदवार बदलने के कयास हर दिन मजबूती पा रहे हैं। कभी अंत:पुर से आने वाली खबरें अटकलों की आग में शोले भड़काती हैं तो कभी घटनाओं के तार एक 'अपरिहार्य कदम' की ओर इशारा करने लगते हैं। मगर इस बार तो खुद राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन ने ही राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं की झड़ी लगा दी है। बाइडेन का कहना है कि कमला हैरिस बतौर अपराष्ट्रपति अच्छी हैं... और राष्ट्रपति भी बन सकती हैं। यह कथन बहुत कुछ कह जाता है और दूसरे लोगों के लिए चर्चा का बड़ा विषय दे जाता है।
इस तरह अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के अंदर और बाहर चल रही जिन अटकलों का बाजार गर्म है उनको खुद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ही हवा दे दी है। हालांकि उम्मीदवार बदलने की इन अटकलों के बीच एक बात जो अब तक स्पष्ट है और की जाती रही है वह यह है कि बाइडेन दौड़ में बने रहेंगे। राष्ट्रपति बाइडेन ने यह बात खुद भी कई बार सार्वजनिक तौर पर साफ की है और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने जिस तरह से एक चुनावी सभा के दौरान राष्ट्रपति के पक्ष में खुलकर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है उससे भी स्पष्ट है कि उम्मीदवारी को लेकर शीर्ष नेतृत्व भी किसी तरह के बदलाव का इरादा नहीं रखता। अलबत्ता बाइडेन का यह कहना कि हैरिस राष्ट्रपति बन सकती हैं आग में घी का काम कर गया है। अब यह आग फौरी तौर पर तभी शांत हो सकती है जब पार्टी में आधिकारिक तौर पर कोई घोषणा हो।
लेकिन बीते एक पखवाड़े में कई घटनाएं ऐसी हुई हैं जो राजनीतिक परिदृश्य के साथ ही चुनावी तस्वीर को बदलने का माद्दा रखती हैं। स्वाभाविक तौर पर बड़ी घटना एक अभियान रैली के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प पर हआ जानलेवा हमला है। इस घटना ने मुल्क में बड़ी लहरें पैदा की हैं। कहा जा रहा है कि इस घटना ने ट्रम्प के प्रति कुछ सहानुभूति जगाई है। पहले से कमजोर बताये जा रहे बाइडेन अभियान के लिहाज से यह जाहिर तौर पर एक चिंताजनक बात है। स्मृति दोष का भूत लगातार बाइडेन का पीछा कर रहा है। यह भूत अगले कार्यकाल को लेकर उनकी क्षमताओं को सीधे-सीधे खारिज कर रहा है। बाइडेन अभियान को फंड करने वाले काफी समय से रूठे बताये जाते हैं और ये घटनाएं उनकी भी बेचैनी बढ़ा रही हैं। बाइडेन के खुद के बयान कई बार असहज हालात पैदा कर रहे हैं। खास तौर पर हाल ही में हैरिस को लेकर कही गई बात। रही सही कसर कोरोना पूरी किये दे रहा है। खबर है कि राष्ट्रपति बाइडेन एक बार फिर कोरोना का शिकार हो गये हैं। कोरोना उन्हे 2022 में भी 'कमजोर' कर चुका है। मगर इस बार का वार उनकी पार्टी के लिए 'सियासी महामारी' का सबब बन सकता है।
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