उम्र के जिस 'पाश' में जकड़कर पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन को चुनावी दौड़ से हटने पर मजबूर कर दिया था अब उनके उसी 'अस्त्र' की आंच शीर्ष पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार की तरफ बढ़ रही है। इसलिए क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव के आखिरी दौर में डेमोक्रेट हैरिस ने अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी ट्रम्प को उम्र के तीरों से भेदना शुरू कर दिया है। हैरिस के हमले तेज हो गये हैं। हो सकता है कि हैरिस अभियान की ओर से ऐसा सायास किया जा रहा हो लेकिन इसका पूरा मौका देने में पूर्व राष्ट्रपति ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक बार फिर जैसे ही हैरिस के सामने ट्रम्प को घेरने का एक बड़ा मौका आया तो उन्होंने बिना देर किये पूर्व राष्ट्रपति की उम्र के हवाले से उनकी मानसिक स्थिति पर भी प्रश्न कर दिये। ये प्रश्न सीधे तौर पर तो ट्रम्प के लिए थे लेकिन उछाले गये थे जनता के पाले में। ताकि मतदाता यह समझ लें कि अगर 81 वर्षीय बाइडेन व्हाइट हाउस के लिए शारीरिक रूप से अक्षम माने जा सकते हैं तो फिर उनसे महज 3 साल कम के ट्रम्प इतने सक्षम कैसे हो सकते हैं? उम्र के चलते अगर बाइडेन को स्मृति दोष का शिकार बताया जा रहा था तो ट्रम्प भी मानसिक स्वास्थ्य के सवालों से घिरे हैं और ऊल-जुलूल हरकतों के दृश्यों से बरी नहीं हैं।
बहरहाल, हाल का मामला बीते सोमवार का है जब पेंसिल्वेनिया में डोनाल्ड ट्रंप की एक चुनावी रैली अचानक से एक संगीत की महफिल में तब्दील हो गई। करीब 30 मिनट की उस सभा में ट्रम्प ने सियासी सवाल-जवाब का सिलसिला अचानक खत्म कर दिया और झूमने लगे। उनके डांस को अजीब तक बताया जावे लगा। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब ट्रम्प ने सार्वजनिक मंच पर डांस किया हो। वर्ष 2020 में भी ऑरलैंडो रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रंप मंच पर डांस करते हुए नजर आए थे। यानी वे ऐसा करते रहे हैं, जिसे उनकी बेबाक शैली माना जा सकता है। लेकिन चाल साल बाद एक बार फिर ऐसा करना इसलिए मीडिया की सुर्खियों में, सोशल मीडिया पर वायरल और सियासी मुद्दा बन गया क्योंकि उम्र के सवाल पर कुछ ही माह पहले वे अपने प्रबल प्रतिद्वंद्वी और राष्ट्रपति पद के फिर से दावेदार बाइडेन को चुनाव मैदान से 'पलायन' करने पर मजबूर कर चुके हैं। इस साल जब से अमेरिका में चुनावी चर्चाएं शुरू हुईं और बाइडेन ने फिर से दावेदारी की तो ट्रम्प ने उनके खिलाफ सबसे अधिक बार 'उम्र का अस्त्र' ही चलाया। आखिरकार न-न करते बाइडेन को चुनाव मैदान से बाहर होना पड़ा। लेकिन तब तक ट्रम्प को यह आभास नहीं होगा कि एक दिन उम्र का यही 'भूत' पीछा करते हुए उनके पास भी आ जाएगा।
जब बाइडेन चुनाव मैदान से हटे थे और उनकी जगह कमला आईं थीं तो ट्रम्प ने उन पर कई तंज कसे थे। उन्हें कमजोर बताया था। महिला बताकर छींटाकशी की थी और खम ठोका था कि वह उनको बहुत आसानी से परास्त कर देंगे। गोया ट्रम्प यह कहना चाह रहे थे कि बाइडेन के रहते तो फिर भी मुकाबले में कुछ दम था लेकिन हैरिस को हराना उनके लिए बाएं हाथ का खेल है। लेकिन जब से हैरिस शीर्ष पद के लिए मैदान में उतरी हैं, मुकाबला एकतरफा नहीं रहा है। वैसे एकतरफा कभी था भी नहीं। अब मुकाबला कांटे का है। स्थिति यह है कि हैरिस पर जीत पाने के लिए ट्रम्प को लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं। नतीजा कुछ भी हो सकता है। अब सारा दारोमदार स्विंग राज्यों और अमेरिका की आधी आबादी पर है।
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