भारतीय मूल के प्रॉपर्टी ब्रोकर श्याम बत्रा लंदन के मेयर बनने की दौड़ में शामिल हो गए हैं। 62 साल के बत्रा ने अपनी ऊर्जा और जुनून को एक निष्क्रिय पुलिस प्रणाली द्वारा पीड़ित महसूस करने वालों की मदद करने के लिए समर्पित करने की अपनी प्रतिबद्धता का इजहार किया है। चुनाव इस साल 2 मई को होने वाले हैं।
श्याम बत्रा पश्चिम लंदन के उक्सब्रिज में रहते हैं। उनका जन्म ब्रिटेन में हुआ है। बत्रा का कहना है कि लंदन शहर की वर्तमान स्थिति से बहुत परेशान हैं इसलिए आजाद उम्मीदवार के तौर पर इस इलेक्शन में खड़े हो रहे हैं। उन्होंने अपने चुनाव कैंपेन के लिए 'आशा के दूत' का नारा दिया है। उन्होंने रेखांकित किया कि लंदन शहर को उसके सही जगह पर लाने का मार्ग 'भारी बाधाओं से भरे दिन और रात के साथ चुनौतीपूर्ण' होगा। लेकिन उनका इरादा मजबूत है। वह कहते हैं कि इन चुनौतियों से लड़ने और इन्हें दूर करने के लिए वह तैयार है।
बत्रा ने कहा कि एक सुरक्षित और संपन्न लंदन बनाने का लक्ष्य जहां भविष्य की पीढ़ियां उद्यमियों, शिक्षकों और सफल व्यक्तियों के रूप में पनप सकती है। यह शहर के निवासियों के महत्वपूर्ण समर्थन से संभव है। बत्रा ने बीबीसी से कहा कि साथ मिलकर हम अपने शहर को दुनिया में सबसे आगे ला सकते हैं और दूसरों के अनुसरण के लिए आशा की किरण के रूप में चमक सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वह खुद को एक राजनीतिक उम्मीदवार के रूप में नहीं देखते, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखते हैं जो 'सिर्फ लंदन को ठीक करना चाहता है और लोगों की आवाज बनना चाहता है।' बत्रा जिन चीजों को प्राथमिकता देते हैं उनमें से एक परिवहन सिस्टम है। उन्होंने कहा कि वह पुरानी बसों और ट्रेनों को बदलने का इरादा रखते हैं ताकि लंदन के लोग समय पर अपने गंतव्य तक पहुंच सकें।
बत्रा ने Ultra Low Emission Zone (Ulez) चार्ज 15.91 अमेरिकी डॉलर को खत्म करने को लेकर भी जुनून दिखाया। यह Ulez के भीतर ड्राइव करने के लिए एक डेली फी है। अन्य प्राथमिकताओं में जीवन यापन की लागत के संकट से निपटना और आवास के मुद्दों में सुधार करना शामिल है। एक भारतीय सरकारी अधिकारी के घर जन्मे बत्रा ने लंदन में एक निवेश हाउस में अपना करियर शुरू किया, जहां उन्हें सफलता और पहचान मिली। उन्होंने 2006 में अपनी पहली अपार्टमेंट होटल खरीद के साथ प्रॉपर्टी इंडस्ट्री में कदम रखा।
ब्रिटेन में जन्मे बत्रा 2024 में लंदन मेयर के लिए चल रहे 11 उम्मीदवारों में से एक हैं। उनके प्रतिद्वंद्वी ब्रिटिश-भारतीय तरुण गुलाटी हैं, जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। 20 साल से लंदन में रह रहे भारतीय मूल के तरुण गुलाटी दिल्ली से आते हैं। उनकी पढ़ाई लिखाई भारत से ही हुई है। वह फाइनेंस एक्सपर्ट के पेशे से राजनीति की तरफ आए हैं। गुलाटी को 2009 में ब्रिटेन की नागरिकता मिली थी।
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