अमेरिकी चुनावों में कई भारतीयों ने जीत का परचम लहराया है तो कइयों को हार का भी सामना करना पड़ा है। इनमें भारतीय-अमेरिकी राजेश मोहन भी हैं।
हृदय रोग विशेषज्ञ राजेश मोहन न्यूजर्सी के तीसरे कांग्रेसी जिले का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनाव मैदान में थे, लेकिन जीत का सेहरा नहीं बांध पाए। उन्हें हर्ब कॉनवे के हाथों हार का सामना करना पड़ा। एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक, बर्लिंगटन काउंटी में तकनीकी मुद्दों की वजह से चुनाव परिणामों की घोषणा में देरी हुई।
रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से चुनाव मैदान में उतरे राजेश मोहन को डेमोक्रेट समर्थकों से मुश्किल लड़ाई का सामना करना पड़ा। मॉनमाउथ काउंटी में आगे होने के बावजूद राजेश मोहन को 45 प्रतिशत वोट मिले जबकि कॉनवे के खाते में 52.9 फीसदी मत आए।
राजेश मोहन ने स्वास्थ्य सेवा सुधार, राजकोषीय जिम्मेदारी और छोटे कारोबारियों को सपोर्ट करने पर केंद्रित अभियान चलाया था। उन्होंने ऐसी इकोनमी बनाने का वादा किया था, जिसमें लोगों को कम टैक्स देना पड़े और महंगाई की कम मार झेलनी हो। उन्होंने सीमाओं और समुदाय की सुरक्षा को भी अपने वादों में शामिल किया था।
गौरतलब है कि इन चुनावों 'समोसा कॉकस' जिसे कांग्रेस में भारतीय मूल के अमेरिकियों का एक अनौपचारिक समूह कहा जाता है, उसकी सदस्यों की संख्या छह तक हो गई है। समोसा कॉकस शब्द 2018 में इलिनोइस के प्रतिनिधि राजा कृष्णमूर्ति द्वारा अमेरिकी कांग्रेस में भारतीय-अमेरिकियों की बढ़ती मौजूदगी को दर्शाने के लिए दिया गया था।
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