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राम मंदिर : अयोध्या में आस्था और भक्ति की विजय : स्वामी ईश्वरचरणदासजी

स्वामी महाराज ने सन 1989 में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास की प्रथम रामशिला का पूजन करते हुए उस महान अभियान का मंगल प्रारंभ किया था। उन्होंने श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए सन 1953, 56, 69 एवं उसके बाद भी समय-समय पर अयोध्या में चल रहे प्रार्थना यज्ञ में अपनी भक्तिपूर्ण आहुति अर्पित की थी। (Image : BAPS) /

भारत वर्ष अनेक महान अवतारी पुरुषों, ऋषियों, आचार्यों, संतों, भक्तों की पवित्र भूमि के रूप में करोडों हिन्दुओं के हृदय में आस्था और श्रद्धा की गंगोत्री बहा रहा है। इस श्रृंखला में महान परमात्मा के स्वरूप भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण एवं महादेव भगवान शिव सनातन हिन्दू धर्म परंपरा के प्राणवायु हैं। करोड़ों हिंदू बड़ी आस्था के साथ इन देव स्वरूपों की आराधना करते हैं।

 

भगवान श्रीराम का नाम लेते हुए करोडों हिन्दुओं के हृदय में भक्तिभाव उमड़ने लगते हैं। श्रीराम का प्रत्येक स्वरूप सहस्र वर्षों से मानवजाति को प्रेरणा देता रहा है और आने वाले अनेक युगों तक प्रेरणा देता रहेगा। ऐसे भगवान श्रीराम का जन्मतीर्थ अयोध्या भी उतना ही प्रेरणादायक रहा है। अत: भगवान श्रीराम की जन्मभूमि के प्रति करोडों हिन्दुओं की आस्था अमिट और अतुलनीय है।

 

उसी पवित्र तीर्थभूमि पर 500 वर्षों के संघर्ष के बाद पुनः विराट हिन्दू समाज की आस्था एवं स्वाभिमान के रूप में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है। यह अत्यंत आनंद का अवसर है। पिछली पांच शताब्दियों से अनेक धर्म-आचार्यों, संतों, महंतों, भक्तों के बलिदान एवं उनकी तपस्या की यह परम फलश्रुति है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहा ऐतिहासिक मंदिर रामलला के चरणों में तो एक दिव्य आहुति है ही इस हेतु अपना जीवन समर्पित करने वाले लाखों श्रद्धालुओं को भी एक पूर्ण भावांजलि है।

 

भगवान श्री रामलला के भव्य, दिव्य और नव्य मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव निकट आ रहा है। इस अवसर पर हमारे गुरुदेव एवं महान संत विभूति ब्रह्मस्वरूप प्रमुख स्वामी महाराज का भी पुण्य स्मरण हो रहा है। विश्वभर में 1200 से अधिक हिन्दू मंदिरों का निर्माण करने वाले परम पूज्य प्रमुख स्वामी महाराज अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए भी अत्यंत उत्साहित थे। उन्होंने सन 1989 में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास की प्रथम रामशिला का पूजन करते हुए उस महान अभियान का मंगल प्रारंभ किया था। उन्होंने श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए सन 1953, 56, 69 एवं उसके बाद भी समय-समय पर अयोध्या में चल रहे प्रार्थना यज्ञ में अपनी भक्तिपूर्ण आहुति अर्पित की थी।

 

विश्व हिन्दू परिषद के स्थापक श्रद्धेय स्वामीश्री चिन्मयानंदजी, परिषद के उस समय के अध्यक्ष श्री अशोक सिंघलजी एवं अन्य सूत्रधारों से विमर्श करते हुए पूज्य प्रमुख स्वामीजी महाराज ने समय-समय पर उसका मार्गदर्शन किया था। उनके ही मार्गदर्शन के अनुसार श्री अशोकजी सिंघलजी ने सभी के साथ विमर्श करते हुए स्वामिनारायण अक्षरधाम की तरह राजस्थान के गुलाबी पत्थरों से श्रीराम मंदिर का निर्माण निश्चित किया था। आज उनके अनुगामी परम पूज्य महंत स्वामीजी भी इस राम मंदिर के लिए उत्साहित हैं। उनकी प्रेरणा से बीएपीएस स्वामिनारायण संस्था के माध्यम से उचित अनुदान भी श्रीराम मंदिर की सेवा में अर्पित किया गया है।

 

अब जबकि श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की वेला आ रही है तब परम पूज्य महंत स्वामी महाराज के आदेश से बीएपीएस स्वामिनारायण संस्था के विश्वभर में फैले 1500 से अधिक मंदिरों एवं 21,000 से अधिक सत्संग सभा केन्द्रों में विशिष्ट भक्तिपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए गये हैं। 21 एवं 22 जनवरी 2024 के पवित्र दिन बीएपीएस संस्था के मंदिरों में दिवाली की तरह दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी की उपस्थिति में अयोध्या से प्रसारित होने वाले सीधे प्रसारण के माध्यम से लाखों लोग बीएपीएस स्वामिनारायण मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में सम्मिलित होंगे और आनंदोत्सव करेंगे।

 

इस पवित्र अवसर पर यही प्रार्थना है कि जिन्होंने इस मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया है उन पर भगवान श्रीराम की पूर्ण कृपा रहे। भारत एवं सनातन हिन्दू धर्म के इस गौरवपूर्ण अवसर पर भगवान श्री रामलला के चरणों में कोटि-कोटि वंदन करते हुए हृदय गदगद हो रहा है। पुनः राम राज्य के वातावरण में भारत विश्वगुरु के पद पर अपनी पूर्व गरिमा को हासिल करे यही कामना है।

 

(बीएपीएस स्वामिनारायण संस्था में अंतरराष्ट्रीय संयोजक हैं)

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