कॉर्नेल यूनिवर्सिटी ने अपने पूर्व छात्र रतन टाटा को मरणोपरांत पहला रतन एन. टाटा डिस्टिंग्विश्ड एलुमनाई अवॉर्ड प्रदान किया। यह सम्मान पिछले सप्ताह आयोजित एक समारोह में प्रदान किया गया। इस सम्मान को रतन टाटा के जीवन और योगदान को समर्पित किया गया है।
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, आर्ट एंड प्लानिंग (AAP) द्वारा स्थापित यह पुरस्कार ऐसे पूर्व छात्रों को सम्मानित करता है जिनका योगदान रतन टाटा के वैश्विक प्रभाव और परोपकार की विरासत को दर्शाता है। ये भी देखें - टाईकॉन 2025: सिलिकॉन वैली में जुटेंगे इनोवेशन और उद्यमिता के धुरंधरयह पुरस्कार रतन टाटा के जीवनकाल में उनके नाम पर घोषित किया गया था लेकिन साल 2024 में उनके निधन के बाद उन्हें यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। पहली बार ये सम्मान प्रदान किया गया है।
समारोह में कॉर्नेल के प्रेसिडेंट माइकल आई. कोटलिकोफ ने कहा कि ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिनके जीवन और कार्यों को वास्तव में परिवर्तनकारी कहा जा सकता है। रतन टाटा ऐसे ही एक शख्स थे।
उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, अनुसंधान और इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में रतन टाटा के परोपकारी कार्यों की सराहना की और कॉर्नेल से उनके गहरे जुड़ाव को भी याद किया।
गौरतलब है कि रतन टाटा ने 1962 में कॉर्नेल से आर्किटेक्चर में डिग्री प्राप्त की थी। शुरुआत में उन्होंने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया था लेकिन बाद में AAP में आकर आर्किटेक्चर की पढ़ाई पूरी की।
रतन टाटा कुछ समय तक लॉस एंजलिस में काम करने के बाद भारत लौटे और टाटा संस से जुड़ गए। 1991 से 2012 तक चेयरमैन रहते हुए उन्होंने टाटा ग्रुप को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
रतन टाटा कॉर्नेल के ट्रस्टी भी रहे और AAP की एडवाइजरी काउंसिल में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सदस्य थे। वे यूनिवर्सिटी के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय दानदाता भी थे जिन्होंने छात्रवृत्तियों, तकनीकी नवाचारों और वैश्विक अनुसंधान को भरपूर समर्थन दिया।
कार्यक्रम में टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन, कॉर्नेल के प्रेसिडेंट कोटलिकोफ, AAP के डीन मीजिन यून और अन्य प्रतिष्ठित वक्ताओं ने टाटा के जीवन, मूल्यों और योगदान पर प्रकाश डाला।
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