अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को आकर्षित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विदेशी मुद्रा अनिवासी बैंक (FCNR-B) की जमाओं पर ब्याज दर की सीमा को बढ़ाने का फैसला किया है। इससे एनआरआई को अब भारत में अपने बैंक डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज मिल सकेगा।
यह कदम भारतीय मुद्रा में बढ़ते उतार-चढ़ाव के बीच विदेश से पूंजी प्रवाह को बढ़ाने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है। मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इन बदलावों की जानकारी दी, जो 6 दिसंबर से प्रभावी हो गई हैं।
इसके मुताबिक बैंक अब 3 साल से कम की परिपक्वता अवधि वाले एफसीएनआर-बी डिपॉजिट पर ओवरनाइट एल्टरनेटिव रेफरेंस रेट (एआरआर) से 400 बेस पॉइंट ऊपर तक ब्याज दर ऑफर कर सकेंगे। 3 से 5 साल की मैच्योरिटी वाली जमाओं पर उच्चतम सीमा को एआरआर के ऊपर 350 बेसिस पॉइंट से बढ़ाकर 500 कर दिया गया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने नीतिगत घोषणाओं का ऐलान करते हुए कहा कि ब्याज दर की सीमा बढ़ाने का यह फैसला रुपये पर दबाव को देखते हुए अधिक पूंजी आकर्षित करने की जरूरत के अनुरूप है। बताया गया है कि बढ़ी हुई ये ब्याज दर कैप अगले साल 31 मार्च तक प्रभावी रहेंगी।
इस पहल से एनआरआई को अब भारत में अपनी सेविंग्स पर पहले से ज्यादा रिटर्न लेने का आकर्षक अवसर मिलेगा। आरबीआई को भी इससे अपने विदेशी मुद्रा भंडार को फिर से भरने में मदद मिलेगी जिसमें हाल के हफ्तों में काफी गिरावट देखी गई है।
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