अमेरिका और भारत के बीच जल्द ही रीयल टाइम पेमेंट सुविधा शुरू हो सकती है। भारत का नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) दोनों देशों के बैंकों से इस सिलसिले में बातचीत कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये बातचीत अब एडवांस लेवल पर पहुंच चुकी है।
मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एनपीसीआई इस सिस्टम का मॉडल तैयार करने और प्रयोग शुरू करने के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) में अनुभवी भारतीय बैंकों और विदेशी बैंकों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
इस पहल का उद्देश्य एक देश से दूसरे देश में पेमेंट मामले में एनपीसीआई की विशेषज्ञता का लाभ उठाना है। एनपीसीआई भारत के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा समर्थित है और देश में रिटेल पेमेंट और सैटलमेंट सिस्टम संचालित करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, एनपीसीआई अब फेडनाउ या अपने यूपीआई समकक्ष के साथ जुड़ने की संभावना पर काम कर रहा है। फेडनाउ को पिछले साल जुलाई में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने लॉन्च किया था और यह एक रीयल टाइम पेमेंट सर्विस है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत और अमेरिका के बीच यह प्रस्तावित भुगतान मॉडल शुरुआत में छोटे उपभोक्ताओं के लेनदेन पर फोकस होगा। इसकी एक वजह अमेरिका में भारतीय यूपीआई जैसी राष्ट्रव्यापी सिस्टम का न होना है।
चूंकि इस सिस्टम से बिना समय गंवाए एक से दूसरी जगह पेमेंट किया जा सकेगा, ऐसे में होने वाले लेनदेन की रकम और सीमा शुरूआत में सीमित ही रहेगी। पहले केवल मामूली रकम के भुगतान की अनुमति दी जाएगी।
रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि इस सिस्टम के तहत भारत से उन्हीं बैंकों के जरिए पैसों का लेनदेन किया जा सकेगा, जो भारत में कंस्यूमर बैंक के तौर पर रजिस्टर्ड होंगे। इसी तरह अमेरिका में लोग अपने देश के बैंक के जरिए रकम भेज सकेंगे या हासिल कर सकेंगे।
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