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अमेरिका में भारतीय-अमेरिकियों के खिलाफ नस्लवाद पर नीरा टंडन बोलीं-  यह बहुत दुखद है

व्हाइट हाउस में काम कर चुकीं नीरा टंडन ने अमेरिका में भारतीय-अमेरिकियों के खिलाफ बढ़ते नस्लवाद पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। हाल के हमलों का जिक्र करते हुए उन्होंने भारतीय-अमेरिकियों को राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।

अमेरिका की डोमेस्टिक पॉलिसी काउंसिल की डायरेक्टर और प्रेसिडेंट जो बाइडेन की पूर्व सलाहकार नीरा टंडन। / Wikipedia

अमेरिका की डोमेस्टिक पॉलिसी काउंसिल की डायरेक्टर और प्रेसिडेंट जो बाइडेन की पूर्व सलाहकार नीरा टंडन ने भारतीय-अमेरिकियों के खिलाफ बढ़ती नफरत पर चिंता जाहिर की है। हाल ही में भारतीय-अमेरिकी हस्तियों पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए, टंडन ने इस माहौल पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने न्यू इंडिया अब्रॉड को बताया, 'मुझे लगता है ये वाकई बहुत दुखद है।' 

नीरा टंडन ने कहा, 'मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं आता जब कोई भारतीय-अमेरिकियों को असली अमेरिकन नहीं मानता और उन पर हमला करता है।' उन्होंने इस तरह के हमलों के खिलाफ आवाज उठाने की अहमियत पर जोर दिया और भारतीय-अमेरिकियों को राजनीतिक बहसों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, 'हमें उन लोगों के खिलाफ लड़ना होगा जो हमें पूरे अमेरिकन नहीं समझते।'

आगे उन्होंने भारतीय-अमेरिकी समुदाय की सार्वजनिक सेवा में बढ़ती भागीदारी पर गर्व जाहिर किया और बताया कि पहले से कहीं ज्यादा भारतीय-अमेरिकी चुनाव लड़ रहे हैं। टंडन ने कहा, 'सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हम अपने नेताओं को जवाबदेह ठहराएं ताकि हम सभी की सरकार और नीतियों में आवाज हो।' उन्होंने सरकार के हर स्तर पर समान प्रतिनिधित्व की जरूरत पर जोर दिया। 

अपने सफर को याद करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे वो पहले जनरेशन के भारतीय-अमेरिकियों में से हैं जिन्होंने पब्लिक पॉलिसी के लिए काम किया है। उन्होंने कहा, 'ये बात कि मेरे माता-पिता के भारत से आने के सिर्फ एक पीढ़ी बाद मैं व्हाइट हाउस में काम कर रही हूं, यही इस देश को महान बनाता है। ये सिर्फ यहां होता है, और लगभग कहीं और नहीं। यहां तक कि बढ़ती हुई इमिग्रेशन बहस में भी ये याद रखना बहुत जरूरी है कि हम इमिग्रेंट्स का देश हैं।' टंडन ने लीगल इमिग्रेशन को बढ़ाने के व्यापक समर्थन पर जोर दिया।

टंडन सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस की प्रेसिडेंट भी रह चुकी हैं। उन्होंने कई मुद्दों पर अपने काम के बारे में बताया। जैसे हेल्थकेयर रिफॉर्म और अफोर्डेबल केयर एक्ट से लेकर वेटरन्स के अधिकार और क्रिमिनल जस्टिस तक। उन्होंने बाइडेन प्रशासन की मेडिकेयर बातचीत के जरिए दवाओं की कीमतें कम करने की कोशिशों पर भी गर्व जाहिर किया, जो अमेरिकी नीति में लंबे समय से चली आ रही एक बड़ी उपलब्धि है।

खुद एक प्रवासी होने के नाते टंडन ने नीतियों को आकार देने में प्रतिनिधित्व की चुनौतियों और महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, 'अगर आप टेबल पर नहीं हो, तो आप मेन्यू पर हो।' उन्होंने निर्णय लेने की प्रक्रिया में अलग-अलग विचारों के महत्व को रेखांकित किया, खासकर हेल्थकेयर, शिक्षा और इमिग्रेशन जैसे क्षेत्रों में।

टंडन ने अमेरिका और भारत के बीच मजबूत होते रिश्तों पर भी विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, 'भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने अमेरिका और भारत के रिश्तों में अहम भूमिका निभाई है।' उन्होंने बायोटेक और बायोफार्मा सहित कई क्षेत्रों में उद्यमशीलता की भावना और गहरे इनोवेशन की ओर इशारा किया। उन्हें भारतीय-अमेरिकी सीईओ की भारी संख्या पर विशेष गर्व व्यक्त किया, जिनमें से कई भारत के आईआईटी सिस्टम से आते हैं।

बाइडेन की घरेलू नीतियों की प्रमुख शिल्पकार के रूप में टंडन ने अपने करियर को कृतज्ञता के साथ याद किया। उन्होंने कहा, 'मुझे इतने सारे मुद्दों पर काम करने का बड़ा सौभाग्य मिला है।' उन्होंने व्हाइट हाउस में काम की कठिनाई और फायदों को स्वीकार किया। अंत में उन्होंने अमेरिकी लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत में अपने अटूट विश्वास को व्यक्त करते हुए भारतीय-अमेरिकियों से राजनीतिक क्षेत्र में समानता, मान्यता और प्रतिनिधित्व के लिए प्रयास जारी रखने का आग्रह किया।

 

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