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अमेरिका-भारत संबंधों के लिहाज से बेहद अहम साबित होगा 2025

2023 में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद 2024 में दोनों देशों ने संबंधों में कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किए हैं जो नए साल में द्विपक्षीय सहयोग की नींव को और मजबूत करेंगे।

2025 में अमेरिका-भारत साझेदारी विकास के नए चरण में प्रवेश के लिए तैयार है। / File Photo facebook @Narendra Modi

2025 आने में कुछ पल बाकी हैं। यह समय बीत चुके 2024 और आने वाले साल को नए नजरिए और नई उम्मीदों के चश्मे से देखने का है।

साल 2024 का अधिकतर वक्त चुनावी सरगर्मियों में बीता है। करीब 70 देश यानी दुनिया की लगभग आधी आबादी इस दौरान चुनावों में रही है। अमेरिका और भारत ने भी इस साल लोकतंत्र के महापर्व को देखा है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प का निर्वाचन भारत के साथ संबंधों और भारतीय-प्रशांत क्षेत्र को प्राथमिकता देने की नीति की निरंतरता का संकेत है। उम्मीद है कि ट्रम्प 2.0 सरकार राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन में हासिल प्रगति को आगे बढ़ाएगी। साथ ही इमिग्रेशन, आर्थिक मजबूती और चीन से रणनीतिक प्रतिस्पर्धा जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देगी। 

इससे पहले कि हम 2025 में कदम रखें, साल 2024 की प्रमुख घटनाओं पर एक नजर डालना जरूरी है।

2023 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के बाद 2024 में दोनों देशों ने संबंधों में कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किए जो निश्चित ही नए साल में द्विपक्षीय सहयोग की नींव को और मजबूत करने वाले हैं।

ये साल वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच घनिष्ठ मित्रता, आपसी विश्वास और महत्वपूर्ण समझौतों का गवाह रहा है। सितंबर में राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी था कि अमेरिका-भारत की व्यापक वैश्विक व रणनीतिक साझेदारी 21वीं सदी की सबसे अनूठी साझेदारी साबित होने वाली है।
 
क्वाड शिखर सम्मेलन और द्विपक्षीय चर्चा के दौरान भी दोनों नेताओं ने साझा लक्ष्यों और अगले दशक की चुनौतियों का मिलकर सामना करने की इच्छाशक्ति दिखाई है। क्वाड इंडो-पैसिफिक रणनीति की आधारशिला है। 2024 में हुई क्वाड लीडर्स की छठी समिट से समूह का बढ़ता प्रभाव और स्पष्ट हुआ। चार लोकतंत्रों की 35 ट्रिलियन डॉलर इकोनमी के रूप में क्वाड ने स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, सुरक्षित आपूर्ति चेन पुनर्गठन और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास सहित वैश्विक चुनौतियों से निपटने को प्राथमिकता दी है।

क्वाड कैंसर मूनशॉट जैसी पहलों के जरिए सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी से सर्वाइकल कैंसर का मुकाबला करने की इच्छाशक्ति दिखाई गई जबकि इंडो-पैसिफिक में प्रशिक्षण की समुद्री पहल (MAITRI) के माध्यम से क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा दिया गया। आपूर्ति श्रृंखलाओं और उभरती प्रौद्योगिकियों को सुरक्षित करने पर क्वाड का जोर क्षेत्रीय स्थिरता एवं आर्थिक विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

जाहिर है कि 21वीं सदी में डेटा पर ही सबकुछ निर्भर करेगा। दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण तकनीक की लड़ाई सेमीकंडक्टर और सेमीकंडक्टर निर्माण सुविधाओं से होकर ही आगे बढे़गी। भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण फैसिलिटी की स्थापना सप्लाई चेन में विविधता लाने के रणनीतिक कदम का संकेत है। इसने राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास दोनों को बढ़ावा दिया है। 

ये पहल महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकी (आईसीईटी) पर यूएस-इंडिया इनिशिएटिव से मेल खाती हैं जो सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग और एडवांस टेलीकम्युनिकेशंस में इनोवेशन को आगे बढ़ा रही हैं।

अमेरिका-भारत के बीच रक्षा मामलों में साझेदारी में भी इस साल उल्लेखनीय प्रगति हुई है। भारत-यूएस डिफेंस एक्सेलेरेशन इकोसिस्टम (INDUS-X) से सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्पेस एक्सप्लोरेशन जैसे क्षेत्रों में सहयोग की सुविधा मिली है। 

यूएस इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (USISPF) ने रक्षा मंत्रालय और रक्षा विभाग के साथ साझेदारी में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में तीसरे INDUS-X सम्मेलन की मेजबानी की। इसका उल्लेख राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में भी किया गया। 

यह iCET का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। iCET के तहत वाशिंगटन और नई दिल्ली एआई, क्वांटम और बायोटेक समेत अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। यह भारत और क्वाड देशों जैसे समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा रणनीतियों के लिहाज से अहम है। 

2023 में चंद्रयान-3 की कामयाबी ने नासा और इसरो के बीच गहरे सहयोग का नया आधार तैयार किया है। अब 2025 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर संयुक्त अनुसंधान की तैयारी चल रही है। इसके अलावा INDUS-X और भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र के निजीकरण से स्टार्टअप्स के लिए नए रास्ते खुले हैं।

जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा के मोर्चे पर दोनों देशों के बीच काफी अच्छा सहयोग देखने को मिला है। अमेरिका ने स्वच्छ ऊर्जा तकनीक में निवेश करके 2070 तक भारत के महत्वाकांक्षी नेट जीरो लक्ष्य का समर्थन किया है। जलवायु परिवर्तन की रफ्तार घटाने और क्लीन इकोनमी को आगे बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास हो रहे हैं।

भारत-प्रशांत आर्थिक ढांचे (IPEF) के जरिए स्वच्छ ऊर्जा एवं आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्राथमिकता दी गई है। भारत और अमेरिका सहित 14 देशों इस पर एक साथ काम कर रहे हैं। 

इसके अलावा बोस्टन और लॉस एंजिल्स में नए भारतीय वाणिज्य दूतावासों का उद्घाटन अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के बढ़ते महत्व और लोगों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती को दर्शाता है। यह सॉफ्ट पावर का एक सच्चा सबूत है।

रणनीतिक लिहाज से देखें तो राष्ट्रपति ट्रम्प के नए शासनकाल में क्वाड केंद्रीय भूमिका में रहने वाला है। राष्ट्रपति ट्रम्प से उम्मीद है कि वह स्वतंत्र एवं खुले इंडो-पैसिफिक के लिए क्वाड का समर्थन करते रहेंगे। क्वाड के माध्यम से आर्थिक सहयोग इस साल में द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के विकल्प बन सकते हैं, लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं।

राष्ट्रपति ट्रम्प का एक प्रमुख फोकस इस साल मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में नौकरियां बढ़ाने पर भी होगा। ऐसे में भारत की ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग सेंटर बनने के पहल के बीच "आत्मनिर्भर भारत" और "मेक इन अमेरिका" रणनीति के बीच संतुलन बनाना होगा।

एप्पल और टेस्ला जैसी कंपनियां भारत में पहले ही महत्वपूर्ण निवेश कर चुकी हैं। ऑटोनोमस व्हीकल्स और चिप डिजाइन समेत हाईटेक मैन्यूफैक्चरिंग में बढ़ता सहयोग, आर्थिक संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगा। ट्रम्प प्रशासन में ड्रोन तकनीक से लेकर जेट इंजन निर्माण तक रक्षा क्षेत्र में सहयोग का विस्तार होने की भी उम्मीद है।

इमिग्रेशन नीतियां खासकर एच-1बी वीजा धारक संबंधी नीतियां चिंता का सबब बन सकती हैं। ऐसे में कुशल वर्कफोर्स की जरूरत और लोगों की भावनाओं के बीच संतुलन बनाना अहम होगा। व्यावहारिक आव्रजन नीतियों से इनोवेशन और आर्थिक विकास में तालमेल बनाना होगा। इससे अमेरिका को प्रतिस्पर्धी बढ़त बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। 

भू-राजनीतिक मोर्चे पर देखें तो पूर्वी यूरोप, मध्य पूर्व और इंडो-पैसिफिक में तनाव कम करने के लिए विदेश नीति पर गहराई से काम करने की जरूरत होगी। इसमें भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। क्वाड, I2U2 और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) जैसी पहलों से अमेरिका-भारत मिलकर इन चुनौतियों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। 

भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूसी तेल का भी सहारा ले रहा है, ऐसे में अमेरिका को साझा सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए उसकी ऊर्जा स्वतंत्रता का समर्थन करने वाला संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की भी आवश्यकता होगी।

2025 में अमेरिका-भारत साझेदारी विकास के नए चरण में प्रवेश के लिए तैयार है। यह साझेदारी साझा मूल्यों, रणनीतिक प्रयासों और आपसी हितों से प्रेरित है। चाहे क्वाड के जरिए वैश्विक चुनौतियों का समाधान हो, प्रमुख तकनीकों में नवाचार बढ़ाना हो या फिर आर्थिक व रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना हो, ये संबंध क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्थिरता के लिए अहम बने रहेंगे।

अब जब राष्ट्रपति ट्रम्प अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने वाले हैं, उनके पास हाल के वर्षों में हासिल प्रगति पर आगे बढ़ते हुए अमेरिका के सुनहरे भविष्य का निर्माण करने का मौका है। व्यावहारिक नीतियों को प्राथमिकता देकर और भारत से संबंधों को गहरा बनाकर अमेरिका एक लचीला व समृद्ध भारतीय-प्रशांत सुनिश्चित कर सकता है जो 21वीं सदी को परिभाषित करेगा।

(लेखक अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच (USISPF) के प्रेसिडेंट एवं सीईओ हैं।)
 

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