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भारत में महंगाई दर से आगे निकलेंगे घरों के दाम, शहरों में किराए में और उछाल: रॉयटर्स सर्वे

रॉयटर्स के एक सर्वे के मुताबिक, इस साल भारत में घरों की कीमतें और किराये महंगाई दर से भी ज्यादा बढ़ेंगे। धीमी अर्थव्यवस्था और कमजोर आय की वजह से लाखों परिवारों के लिए घर खरीदना और मुश्किल हो रहा है, जबकि ऊंची कीमतों और कम सप्लाई से करोड़ों को किराये पर रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। 

हैदराबाद का बदलता नज़ारा: नई आवासीय इमारतें और बढ़ता यातायात। (29 जनवरी, 2025) / Reuters/Almaas Masood

इस साल भारत में घरों की कीमतें और किराए महंगाई दर से भी ज्यादा बढ़ेंगे। रॉयटर्स ने रियल एस्टेट के एक्सपर्ट्स के साथ एक सर्वे में यह बात कही है। रॉयटर्स के मुताबिक ये एक्सपर्ट्स इस बात पर अलग-अलग राय रखते हैं कि पहली बार घर खरीदने वालों के लिए ये कितना मुश्किल या आसान होगा।

एक तरफ धीमी इकॉनमी, सैलरी में कोई बढ़ोतरी नहीं और अच्छी नौकरियों की कमी की वजह से लाखों परिवारों की बचत खत्म हो रही है। दूसरी तरफ, पिछले दस सालों में घरों की कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं। ये मार्केट उन लोगों के हाथ में है जिनकी कमाई बहुत ज्यादा है। ये लोग ही इस मार्केट को चला रहे हैं। ऊपर से, ज्यादा डिमांड और कम सप्लाई की वजह से घरों की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि करोड़ों लोगों को किराए पर रहना पड़ रहा है। 

17 फरवरी से 4 मार्च के बीच हुए एक सर्वे में 14 प्रॉपर्टी मार्केट के जानकारों ने बताया कि इस साल भारत में घरों की कीमतें औसतन 6.5% और अगले साल 6% बढ़ेंगी। पिछले साल ये बढ़ोतरी लगभग 4% रही थी। ये अनुमान दिसंबर में हुए सर्वे से लगभग वही है। ये सर्वे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के ब्याज दरें कम करने से पहले हुआ था। उम्मीद है कि ब्याज दरों में ये कमी और कम ही होगी। 

शहरों में किराए और भी तेजी से बढ़ेंगे। अगले साल ये 7 से 10% तक बढ़ सकते हैं। ये बढ़ोतरी महंगाई दर से कहीं ज्यादा होगी। एक अलग रॉयटर्स सर्वे के मुताबिक, अगले दो सालों में महंगाई दर औसतन 4.3% और 4.4% रहने की उम्मीद है। किराए आसमान छू रहे हैं, इससे घर खरीदना और भी मुश्किल हो गया है। पहली बार घर खरीदने वाले लोग डाउन पेमेंट के लिए बचत करने में जूझ रहे हैं।

रियल एस्टेट रिसर्च फर्म लाइसेज फॉरस के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज कपूर कहते हैं, 'ये डबल झटका है।घरों की कीमतें महंगाई दर से ज्यादा बढ़ेंगी और किराए पहले से ही कई सालों से आसमान छू रहे हैं। मेरे ख्याल से लाखों लोगों के लिए घर खरीदना अब एक दूर का सपना बनता जा रहा है।'

वो आगे कहते हैं, 'ये सिर्फ एक समस्या नहीं है। कई और भी दिक्कतें हैं। संक्षेप में कहें तो, अर्थव्यवस्था में तरक्की से आमदनी और नौकरियों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। इसके बजाय, हम एक ऐसे हाउसिंग मार्केट को देख रहे हैं जहां सिर्फ अमीर ही घर खरीद सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि ये ट्रेंड जल्दी बदलेगा।'

कोलियर्स इंटरनेशनल के अजय शर्मा और सीबीआरई के आतिफ खान भी लगभग यही राय रखते हैं। भारत के दो सबसे बड़े शहरों, मुंबई और दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में घरों की औसत कीमतों में इस साल और अगले साल 5.8% से 8.5% तक की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। बेंगलुरु और चेन्नई में कीमतों में 5% से 7.3% तक की बढ़ोतरी का अनुमान है।

जब प्रॉपर्टी मार्केट के विशेषज्ञों से पूछा गया कि अगले साल पहली बार घर खरीदने वालों के लिए स्थिति क्या होगी, तो वे दो हिस्सों में बंटे नजर आए। सात ने कहा कि इसमें सुधार होगा और सात ने कहा कि स्थिति और बिगड़ेगी।

सेविल्स इंडिया में रिसर्च के मैनेजिंग डायरेक्टर अरविंद नंदन ने कहा, 'कीमतों में इस बढ़ोतरी के साथ पहली बार घर खरीदने वालों के लिए घर खरीदना और मुश्किल हो जाएगा। इसकी वजह ये है कि बढ़ती लागत आमदनी की बढ़ोतरी से ज्यादा होगी। ये खासकर ज्यादा डिमांड वाले महानगरों में और भी मुश्किल होगा।' नंदन के मुताबिक, इससे घर खरीदने के बजाय किराए पर रहना ज्यादा सही विकल्प लगता है।

भारत तेजी से शहरी हो रहा है और लाखों लोग शहरों में आ रहे हैं। सरकार ने सप्लाई बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, फिर भी किफायती आवास ढूंढना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

जब इस बात पर राय मांगी गई कि बड़े शहरों में किफायती आवासों की सप्लाई कैसे बढ़ाई जा सकती है, तो 13 में से 11 लोगों ने कहा कि केंद्र या स्थानीय सरकार को इसमें दखल देना होगा। एक ने कहा कि बाजार खुद ही इस समस्या को सुलझा लेगा और एक ने कहा कि इसमें जल्दी कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा।

नाइट फ्रैंक में रिसर्च के डायरेक्टर विवेक राठी कहते हैं, 'हालांकि भारत में डिमांड को बढ़ावा देने और किफायती आवासों की संख्या बढ़ाने के लिए नीतियां बनाई गई हैं... फिर भी 1 करोड़ 1 लाख यूनिट्स की कमी पहले से ही है।'

 

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