रतन अग्रवाल : भारत के ग्रामीण स्कूलों में शिक्षकों की कमी एक गंभीर समस्या है। यह लाखों बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में बाधा बनती है। भारत में लगभग 80 प्रतिशत प्राथमिक से माध्यमिक स्कूल, चाहे वे सरकारी हों या निजी, शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। आम तौर पर केवल 3-4 शिक्षक आठ कक्षाओं तक की पढ़ाई संभालते हैं। योग्य शिक्षकों की लगातार कमी के कारण छात्र-शिक्षक रेश्यो बहुत अधिक हो जाता है। इससे व्यक्तिगत ध्यान और शैक्षिक परिणामों पर समझौता करना पड़ता है। खराब कार्य परिस्थितियों और सीमित करियर विकास का अवसर शिक्षकों के मनोबल को प्रभावित करता है।
इसके अलावा, ग्रामीण स्कूलों में अक्सर आवश्यक शैक्षिक सामग्री और तकनीक तक पहुंच नहीं होती है। इससे आधुनिक शिक्षण तकनीक को अपनाने में बाधा आती है। हालांकि सरकार ने इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। लेकिन शिक्षकों की लगातार कमी और प्रशिक्षित शिक्षकों का अभाव इसमें बाधक है। उदाहरण के लिए, अधिकांश स्कूलों में 1-2 दर्जन कंप्यूटरों के साथ ICT लैब स्थापित किए गए हैं। लेकिन वे अक्सर बेकार पड़े रहते हैं। उनमें धूल जमा होता रहा है। इसकी वजह ये है कि इन्हें संचालित करने के लिए कार्यक्रमों और प्रशिक्षित कर्मियों की कमी है।
WHEELS ग्लोबल फाउंडेशन के लिए शिक्षा प्रमुख क्षेत्रों में से एक है। इसका लक्ष्य नई तकनीक और नए समाधानों के माध्यम से शिक्षा का प्रसार करना है। WHEELS एक सामाजिक प्रभाव शाखा है, जिसे PanIIT समुदाय द्वारा शुरू किया गया था। यह तकनीक-सक्षम समाधानों के माध्यम से ग्रामीण भारत में जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य तक ही सीमित नहीं है। इसका दायरा व्यापक है। WHEELS के सहयोगी Moinee फाउंडेशन ने स्कूल-इन-ए-बॉक्स (SIAB) समाधान का नेतृत्व किया है। यह छात्रों को सभी शैक्षणिक सामग्री तक डिजिटल फॉर्मेट में पहुंच प्रदान करता है। Moinee फाउंडेशन को पूर्व छात्रों द्वारा स्थापित किया गया है।
इस समाधान में एडटेक इनोवेशन को ऑपरेशनल इनोवेान (बच्चों को सार्वजनिक बोलने के कौशल विकसित करने और सहकर्मी से सहकर्मी सीखने का लाभ उठाने में सक्षम बनाना) के साथ जोड़ा गया है। इनके द्वारा तैयार किया गया सवालों का संग्रह बच्चों को खुद से किसी भी विषय को सीखने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो शिक्षक की योग्यता की कमी को दूर करने में मदद करता है। स्कूल-इन-ए-बॉक्स (SIAB) एक ऑफलाइन कंटेंट सर्वर है। इसमें सर्वश्रेष्ठ समग्र सीखने की सामग्री होती है। इसे संचालित करने के लिए इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है। स्थानीय रूप से स्थापित सर्वर एक वाईफाई हॉटस्पॉट बनाता है जिससे कोई भी वाईफाई-सपोर्टिंग डिवाइस कंटेंट तक पहुंचने के लिए कनेक्ट हो सकता है।
स्कूल-इन-ए-बॉक्स समाधान की कुछ खास बातें ये हैं:
इंटरनेट से मुक्ति: इसका इस्तेमाल इंटरनेट के बिना भी किया जा सकता है, जिससे दूर-दराज के इलाकों में भी पढ़ाई की सामग्री आसानी से मिल सकती है।
स्थानीय भाषाओं का समर्थन: ये समाधान स्थानीय भाषाओं में भी काम करता है, जिससे बच्चों को पढ़ाई समझने में आसानी होती है।
वर्चुअल स्कूल सिस्टम: इसमें स्मार्ट क्लास भी शामिल हैं, जो पढ़ाने और सीखने के तरीके को बेहतर बनाते हैं।
दूर से निगरानी का सिस्टम: इसमें दूर से पढ़ाई की देख-रेख करने का भी इंतज़ाम है, जिससे सबकुछ आसानी से चलाया जा सके।
बिना रुकावट कनेक्शन: इससे कई डिवाइस एक साथ कनेक्ट हो सकते हैं, बिना किसी रुकावट के, जिससे सभी छात्रों को पढ़ाई में आसानी हो। इसके इस्तेमाल से डेटा का कोई खर्च नहीं होता, जिससे ये सस्ता और सुलभ हो जाता है।
सीखने को बढ़ावा: ये समाधान बच्चों को एक दूसरे से सीखने और नए तरीकों से पढ़ाई करने का मौका देता है, जिससे पढ़ाई और ज़्यादा मजेदार और अच्छी होती है।
WHEELS, Moinee के साथ मिलकर शिक्षा में आने वाली मुख्य बाधाओं (लागत, पहुंच, भाषा, बच्चों की सुरक्षा, छात्र-शिक्षक अनुपात) को तोड़ रहा है। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और जीवन में उचित अवसर मिले। पारंपरिक रूप से ग्रामीण स्कूलों के बच्चे बेहतर कम्युनिकेशन कौशल से वंचित रहते हैं। ऐसे में Moinee मॉडल यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे शैक्षणिक सफलता के साथ-साथ बोलने की कला में भी अव्वल हों। इसके साथ ही उनके भीतर सामाजिक कौशल विकसित हों।
WHEELS का लक्ष्य अगले दशक में 3 मिलियन स्कूलों (लगभग 300 मिलियन से अधिक छात्रों के साथ) में जितना हो सके स्कूल-इन-ए-बॉक्स (SIAB) लाना है। 2017 में लॉन्च होने के बाद से Moinee मॉडल ने पहले ही 15 राज्यों में 900 से अधिक स्कूल-इन-ए-बॉक्स सेटअप के माध्यम से सरकारी स्कूलों, सामुदायिक शिक्षा केंद्रों और व्यावसायिक केंद्रों में 300,000 से अधिक युवा शिक्षार्थियों को उनकी भाषाओं में शिक्षा प्रदान की है।
(इस लेख में व्यक्त विचार और राय लेखक के हैं और जरूरी नहीं कि ये न्यू इंडिया अबॉर्ड की आधिकारिक नीति या स्थिति को दर्शाते हों।)
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