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ब्रिटिश पीएम सुनक भी हुए थे नस्लवाद का शिकार, सुनाई आपबीती

मैनचेस्टर विश्वविद्यालय, सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय और किंग्स कॉलेज लंदन के विशेषज्ञों द्वारा 2023 में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि ब्रिटेन में जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के एक तिहाई से अधिक लोगों ने किसी न किसी रूप में नस्लवादी हमले का अनुभव किया है।

नस्लवाद का शिकार होने की बात कहकर पीएम सुनक ने सबकों चौंका दिया है। / Image : X@Rishi Sunak

भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी नस्लवाद का शिकार हो चुके हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने इस बात का खुलासा किया और बताया कि बचपन में ब्रिटेन में पलते-बढ़ते उन्हे भी नस्लवाद का शिकार होना पड़ा था। 

प्रधानमंत्री सुनक ने इंटरव्यू में कहा कि बचपन में साउथैम्प्टन में मैं भी आसपास के लोगों में घुल-मिल नहीं पा रहा था। साथ के लोग अलग लगते थे। मगर माता-पिता ने यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ली कि मैं फिट (सबके साथ मिल-जुल जाना) रहूं और मुझे उन कक्षाओं में दाखिला दिलाया जहां मैं यह सीख सकूं कि सामंजस्य कैसे कायम करना है। 

सुनक 2022 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने। किंग चार्ल्स (3) ने उन्हे इस पद पर नियुक्त किया था। इस नियुक्ति के साथ ही सुनक भारतीय मूल के ऐसे पहले व्यक्ति बन गये जिसे ब्रिटेन की सत्ता में इस तरह का शीर्ष पद मिला हो। इससे पहले सुनक कंजर्वेटिव पार्टी के निर्विरोध नेता चुने गये थे। 

दिलचस्प बात यह भी है कि ब्रिटेन के 210 वर्षों के इतिहास में सुनक सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं। जब वह पीएम बने थे तो उनकी उम्र महज 43 साल थी। यही नहीं ब्रिटेन में भारतीय विरासत वाले वह पहले हिंदू प्रधानमंत्री हैं। 

सुनक ने बताया कि युवावस्था के दौरान मेरे अंग्रेजी बोलने का लहजा वैसा नहीं था जैसा कि ब्रिटेन के स्थानीय लोगों का होता है। तब माता-पिता (यशवीर और ऊषा) ने मुझे एक्ट्रा ड्रामा क्लासेज में भेजना शुरू कर दिया क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनकी भारतीय विरासत उनके परिवार के लिए 'किसी भी तरह की बाधा' बने। इसीलिए मां चाहती थीं कि हम (मै और भाई-बहन) कुछ अतिरिक्त नाटक करने की कोशिश करें।

बेशक, ब्रिटेन में नस्लवाद जारी है। मैनचेस्टर विश्वविद्यालय, सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय और किंग्स कॉलेज लंदन के विशेषज्ञों द्वारा 2023 में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि ब्रिटेन में जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के एक तिहाई से अधिक लोगों ने किसी न किसी रूप में नस्लवादी हमले का अनुभव किया है।

बहरहाल इंटरव्यू में सुनक ने कहा कि आपको यह अहसास होता रहता है कि आप अलग हैं। ऐसा न होना कठिन है। लिहाजा बचपन में मैंने भी नस्लवाद सहा। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने उन पर और उनके भाई-बहनों से कहे गये अपशब्दों को याद करते हुए कहा कि नस्लवाद 'दर्द देता है' और 'उस तरह से चोट पहु्ंचाता है जिस तरह अन्य चीजें नहीं पहुंचातीं।' किंतु सुनक इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि उनके बच्चों को वह सब नहीं झेलना पड़ेगा। 

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