अमेरिका में कैलिफोर्निया से भारतीय मूल के अमेरिकन सांसद रो खन्ना एक ऐसा कानून पेश करने जा रहे हैं जिसके तहत सालाना 250,000 डॉलर से कम कमाने वाले परिवारों के लिए बच्चों की देखभाल के लिए लागत के तौर पर 10 डॉलर प्रतिदिन जरूरी होगा। इस प्रस्ताव को पेश होने से पहले TIME के साथ साझा किया गया है। यह प्रस्ताव बढ़ती हुई चाइल्डकेयर कॉस्ट से निपटने का लक्ष्य रखता है, जो अमेरिकी परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
चाइल्ड केयर अवेयर ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में डेकेयर की औसत सालाना लागत प्रति बच्चे 10,000 डॉलर से ज्यादा है। कुछ राज्यों में तो ये लागत 20,000 डॉलर तक पहुंच जाती है। खन्ना का बिल चाइल्डकेयर प्रोवाइडर्स को फंड करने के लिए एक ग्रांट प्रोग्राम के जरिए सालाना लगभग 100 बिलियन डॉलर आवंटित करेगा। यह आंशिक रूप से कनाडा की चाइल्डकेयर सिस्टम पर आधारित है, जो इसी तरह की लागत में कमी प्रदान करता है।
TIME की रिपोर्ट में बताया गया है कि बिल में चाइल्डकेयर वर्कर्स के वेतन बढ़ाने के प्रावधान भी शामिल है। इसके तहत लेबर की कमी से निपटने के लिए देश भर में न्यूनतम 24 डॉलर प्रति घंटा तय किया गया है। इसके अलावा, खन्ना का प्रस्ताव उन परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है जो बाहरी चाइल्डकेयर सेवाओं से दूर रहना चुनते हैं। इन परिवारों को तीन साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मासिक US$ 300 प्रति बच्चे का भत्ता मिलेगा। इसके साथ ही देखभाल प्रदान करने वाले रिश्तेदारों को मुआवजा पाने का हक होगा।
खन्ना का मानना है कि इस बिल के पारित होने के लिए 2024 के चुनाव में डेमोक्रेट्स को हाउस, सीनेट और राष्ट्रपति पद पर नियंत्रण हासिल करना होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अगर राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत जाती हैं हैं तो वे इस उपाय का समर्थन करेंगी। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि हैरिस इस विचार का समर्थन करेंगी। इस मुद्दे पर उनके अभियान सलाहकारों के साथ चर्चा की गई है।'
चेंबर ऑफ मदर्स जैसी संस्थाओं ने खन्ना के प्रस्ताव का समर्थन किया है। हालांकि कांग्रेस में विरोध का सामना करने की उम्मीद है, खासकर रिपब्लिकन से, जो तर्क देते हैं कि योजना की कीमत बहुत अधिक है। लेकिन खन्ना ने उम्मीद जताई कि यह बिल बातचीत के लिए एक शुरुआती बिंदु के रूप में काम कर सकता है।
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