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रटगर्स यूनिवर्सिटी का जातिगत भेदभाव पर नई श्रेणी जोड़ने से इनकार, HAF ने किया स्वागत

रटगर्स यूनिवर्सिटी की जातिगत भेदभाव टास्क फोर्स की रिपोर्ट के बाद अपनी नीति स्पष्ट की है। यूनिवर्सिटी ने नई श्रेणी नहीं जोड़ने का फैसला किया है, जिसे हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) ने सराहा है।

रटगर्स यूनिवर्सिटी ने मौजूदा नीतियों को बताया पर्याप्त / Image- Rutgers

न्यू जर्सी की रटगर्स यूनिवर्सिटी (Rutgers University) ने 13 जनवरी को जारी एक बयान में कहा कि वो अपने नॉन-डिस्क्रिमिनेशन पॉलिसी में 'जाति' को अलग से प्रोटेक्टेड कैटेगरी में नहीं जोड़ेगी। यूनिवर्सिटी का कहना है कि उनके मौजूदा नियम पहले से ही काफी सुरक्षा देते हैं। हालांकि यूनिवर्सिटी ने जाति के आधार पर भेदभाव रोकने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। यूनिवर्सिटी ने अपनी 'जाति भेदभाव' टास्क फोर्स की रिपोर्ट आने के बाद यह फैसला किया है।  

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) ने रटगर्स के उस फैसले की तारीफ की है जिसमें उन्होंने जाति को एक अलग श्रेणी में शामिल करने की मांग को ठुकरा दिया है। HAF का मानना है कि जाति से जुड़े मुद्दे पहले से ही धर्म, वंश और मूल देश जैसी मौजूदा श्रेणियों में शामिल हैं। HAF ने टास्क फोर्स की रिपोर्ट की भी आलोचना की है, क्योंकि रिपोर्ट में गलत दावों का इस्तेमाल किया गया है। HAF का कहना है कि जातिगत भेदभाव को सामाजिक पदानुक्रम के व्यापक मुद्दों के हिस्से के तौर पर देखा जाना चाहिए, न कि किसी एक खास समुदाय से जुड़े भेदभाव के तौर पर।

टास्क फोर्स रटगर्स और रटगर्स AAUP-AFT यूनियन के बीच हुए एक समझौते के तहत बनाई गई थी। इसका काम जाति आधारित भेदभाव की जांच करना और ये देखना था कि यूनिवर्सिटी की 'भेदभाव और उत्पीड़न' नीति में जाति को स्पष्ट रूप से एक संरक्षित श्रेणी के तौर पर जोड़ा जाना चाहिए या नहीं। लेकिन टास्क फोर्स की रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद, यूनिवर्सिटी ने निष्कर्ष निकाला कि जातिगत भेदभाव को पहले से ही व्यापक श्रेणियों जैसे जाति, धर्म, वंश और राष्ट्रीय मूल के तहत शामिल किया गया है।

टास्क फोर्स ने अपनी अगस्त 2024 की रिपोर्ट में कहा, 'रटगर्स में जाति आधारित भेदभाव एक समस्या है जो हमारे यूनिवर्सिटी समुदाय के कुछ लोगों की क्षमता और अवसरों को सीमित करती है।' रिपोर्ट में जाति आधारित भेदभाव से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए स्पष्ट नीतियों और शैक्षिक पहलों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। 

रटगर्स यूनिवर्सिटी ने कहा कि वह अपनी नीतियों, खासकर जातिगत भेदभाव से जुड़ी नीतियों को और स्पष्ट करने के लिए काम करेगी। इसके लिए वो अपने ऑफिस ऑफ एम्प्लॉयमेंट इक्विटी (OEE) की वेबसाइट जैसे आधिकारिक चैनलों का इस्तेमाल करेगी। साथ ही, यूनिवर्सिटी आने वाले कैंपस क्लाइमेट सर्वे में जाति से जुड़े सवाल भी शामिल करेगी ताकि जातिगत भेदभाव के बारे में जानकारी जुटाई जा सके। इससे मिलने वाली जानकारी से आगे की नीतियों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मदद मिलेगी। OEE स्टाफ को जातिगत भेदभाव के मामलों को संभालने के लिए खास प्रशिक्षण देता रहेगा और यूनिवर्सिटी के लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए शैक्षिक कार्यक्रम भी बनाएगा। 

 

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