भारतीय मूल के सत्या नडेला को माइक्रोसॉफ्ट की अगुआई करते एक दशक पूरा हो गया है। पूरी दुनिया ने देखा है कि सत्या नडेला की अगुआई में माइक्रोसॉफ्ट ने किस तरह अपना कायापलट किया है।
2014 में नडेला द्वारा कमान संभालने के बाद से कंपनी के स्टॉक प्राइस 1000 गुना से ज्यादा बढ़ चुके हैं। इस दौरान माइक्रोसॉफ्ट ने 3 ट्रिलियन डॉलर की कंपनी बनने का मुकाम हासिल किया है। ऐसा करने वाली वह एप्पल के बाद दूसरी कंपनी बन गई है। पहले माइक्रोसॉफ्ट की पहचान एक सॉफ्टवेयर कंपनी के रूप में हुआ करती थी, लेकिन अब वह क्लाउड, गेमिंग और एआई क्षेत्र में भी दिग्गज खिलाड़ी बन चुकी है।
सीएनबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि सत्या नडेला ने जिस वक्त स्टीव बामर की जगह सीईओ के रूप में कमान संभाली थी, कंपनी कई तरह की समस्याओं से घिरी हुई थी। बामर के 14 साल के कार्यकाल में कंपनी के शेयर 30 प्रतिशत तक गिर गए थे। वेब और मोबाइल सर्च में गूगल ने माइक्रोसॉफ्ट की नींव हिला दी थी और सोशल मीडिया के फील्ड में भी उसे पीछे छोड़ दिया था।
सत्या नडेला को सीईओ की कुर्सी पर बिठाते हुए संस्थापक बिल गेट्स ने कहा था कि कंपनी अब अपने एक नए दौर में प्रवेश कर रही है। तकनीक किस तरह काम करती है और किस तरह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, इसे लेकर नडेला का अपना अलग नजरिया है। कंपनी को अपने प्रोडक्ट इनोवेशन और ग्रोथ के लिए इसी की जरूरत है।
हैदराबाद में जन्मे सत्या नडेला माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ बनने से पहले उसके एंटरप्राइस और कंस्यूमर बिजनेस में विभिन्न भूमिकाओं में सेवाएं दे चुके थे। उन्होंने 1992 में कंपनी जॉइन की थी और बहुत ही कम समय में लीडर के रूप में अपनी पहचान बना ली थी। सीईओ बनने से पहले तक वह कंपनी के क्लाउड और एंटरप्राइस ग्रुप के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट थे।
इस भूमिका में उन्होंने क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर और बिजनेस सर्विसेज का कायापलट कर दिया और बाकी कंपनियों से आगे निकल गए। इससे पहले उन्होंने ऑनलाइन सर्विसेज डिवीजन के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट की कमान संभाली थी। वह माइक्रोसॉफ्ट के बिजनेस डिवीजन के वाइस प्रेसिडेंट भी रहे हैं। माइक्रोसॉफ्ट में आने से पहले नडेला सन माइक्रोसिस्टम्स में टेक्नोलोजी स्टाफ मेंबर थे।
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