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NSF निदेशक सेथुरमन ने कहा- अमेरिका-भारत वैज्ञानिक आदान-प्रदान अहम चरण में

सूचनाओं का निर्बाध आदान-प्रदान और सहयोग जो पिछले दो-एक वर्षों में हमने किया है वह केवल इस काल खंड तक सीमित नहीं है। यह हमेशा से ही रहा है। शोधकर्ता स्वाभाविक रूप से विभिन्न देशों के साथी शोधकर्ताओं के साथ काम करते हैं।

नेशनल साइंस फाउंडेशन के निदेशक सेथुरमन पंचनाथन / Image : NSF

नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) के निदेशक सेथुरमन पंचनाथन ने न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ एक विशेष साक्षात्कार में बताया कि वैश्विक भलाई के लिए भारत सरकार किस तरह से संयुक्त अनुसंधान और सहयोग में तेजी लाने की दिशा में NSF के साथ काम कर रही है। 

क्या आप बताएंगे कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत-अमेरिका संबंध आज कहां खड़े हैं?
अमेरिका और भारत की साझेदारी बाइडन-हैरिस प्रशासन के लिहाज से एक बहुत महत्वपूर्ण साझेदारी है। कांग्रेस में भी दो महान लोकतंत्रों यानी अमेरिका और भारत के बीच एक मजबूत साझेदारी के लिए पूर्ण द्विदलीय समर्थन है। NSF के संदर्भ में हमने साझेदारी की राह पकड़कर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर भारत के साथ काम करना शुरू कर दिया है। हमने सबसे पहले विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से शुरुआत की और हमारे पास पहले से ही फंडिंग के दो चक्र हैं जो अभी चल रहे हैं। हमने 35 परियोजनाओं के साथ शुरुआत की जिन्हें हमने छह डिजिटल प्रौद्योगिकी केंद्रों से फंड किया। ये 2022 में था। हम एक रूपरेखा के रूप में क्वाड की भी खोज कर रहे हैं कि हम एक साथ कैसे काम कर सकते हैं। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान चार देश मिलकर काम कर रहे हैं और हमने कृषि के लिए AI की पहचान की है। यह एक बेहतरीन विषय है जिसमें हर किसी की रुचि है कि हम AI जैसी तकनीक लाने के लिए क्या कर सकते हैं। खासकर यह देखने के लिए कि हम कैसे अधिक कुशल, प्रभावी और तकनीकी रूप से प्रेरित कृषि कर सकते हैं और इसके माध्यम से बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

भारत के वैज्ञानिकों के साथ सूचनाओं का निर्बाध आदान-प्रदान और सहयोग कैसे हो सकता है?
सूचनाओं का निर्बाध आदान-प्रदान और सहयोग जो पिछले दो-एक वर्षों में हमने किया है वह केवल इस काल खंड तक सीमित नहीं है। यह हमेशा से ही रहा है। शोधकर्ता स्वाभाविक रूप से विभिन्न देशों के साथी शोधकर्ताओं के साथ काम करते हैं। हम शोधकर्ताओं के अमेरिकी पक्ष को फंड कर रहे हैं। भारत सरकार भारतीय शोधकर्ताओं को फंडिंग कर रही है। इसका मतलब यह है कि लोग और भी अधिक प्रेरित महसूस करें, एक साथ काम करने के लिए प्रेरित होते रहें क्योंकि ये संसाधन संयुक्त प्रयोगशालाओं, संयुक्त अनुसंधान केंद्रों, व्यक्तिगत वैज्ञानिकों के आने-जाने, डॉक्टरेट छात्रों और पोस्टडॉक्टरल अध्येताओं के विकास को संभव बनाते हैं। इसलिए जब हम भविष्य की ओर देखते हैं तो इसे केवल और बढ़ाया जाना तय है।

आपने AI, सेमीकंडक्टर और कृषि जैसे कई मुद्दों पर बात की। आपके विचार से वे कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं जो भविष्य में वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देंगे?
ऐसे बहुत सारे क्षेत्र हैं। iCET एक अच्छा ढांचा है। कई महत्वपूर्ण उभरती प्रौद्योगिकियां हैं। आपने AI, क्वांटम, उन्नत वायरलेस, उन्नत विनिर्माण, जैव प्रौद्योगिकी, महत्वपूर्ण खनिज और सामयिक क्षेत्रों, रोबोटिक्स, स्वचालन, स्मार्ट शहरों और साइबर सुरक्षा की एक पूरी चेन है। ये सभी क्षेत्र दोनों देशों के पारस्परिक हितों से जुड़े हैं। खास तौर से सेमीकंडक्टर स्पष्ट रूप से इस सब में केंद्रीय मामला है। इसलिए हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि हम इन सामयिक क्षेत्रों में कैसे काम कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास सामूहिक विशेषज्ञता है जिसके सहारे हमे एक साथ कदमताल करनी है। और इस तरह से हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी की बेहतरी के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।

क्या आप इन क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक सहयोग के बारे में कुछ बताएंगे ताकि हम वैश्विक मुद्दों का समाधान निकाल सकें?
वैश्विक समस्याओं का हल तलाश करने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधार है। इसी के दम पर अच्छे समाधान ढूंढे जा रहे हैं। मैं अक्सर कहता हूं कि हमे स्मार्ट बनना चाहिए। विशेष तौर पर जलवायु, विज्ञान और प्रौद्योगिकी शमन, अनुकूलन और लचीलेपन के लिए। विज्ञान और तकनीक प्रौद्योगिकी जलवायु शमन, जलवायु अनुकूलन और जलवायु लचीलेपन के लिए अद्भुत संभावनाओं और समाधानों के रास्ते खोलती है। 

भविष्य को लेकर NSF के लिए आपका दृष्टिकोण क्या है?
देश भर में जो प्रतिभाएं और विचार हैं वे अति उत्साहित, ऊर्जावान और उजागर होने के लिए तैयार हैं लेकिन इसके लिए बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता है। हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि चिप्स और विज्ञान निवेश के साथ-साथ साझेदारी-आधारित निवेश के माध्यम से यह कैसे किया जा सकता है। NSF इसे संभव बनाने की कोशिश कर रहा है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम प्रारंभिक खोजों और मौलिक खोजों में निवेश करना जारी रखें। इसलिए जैसा कि हम NSF के भविष्य को देखते हैं... हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम इस दृष्टिकोण पर खरा उतरना चाहते हैं। नवाचार कहीं भी हो सकता है इसीलिए देश भर में हर जगह प्रतिभा को ऊर्जावान बनाया जा रहा है। इसलिए पूरा देश समस्याओं के समाधान में भाग ले रहा है, अवसर पैदा कर रहा है ताकि सभी के लिए समृद्धि सुनिश्चित की जा सके। 

पिछले 10 वर्षों में विज्ञान के क्षेत्र में भारत के विकास को आप किस प्रकार देखते हैं?
जहां तक बीते 10 वर्षों की बात है तो भारत में मैंने यह सुनिश्चित करने की इच्छा में तीव्रता देखी है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचार हर जगह बड़े पैमाने पर प्रेरित होते रहें। इससे पूरे भारत में उद्यमशीलता के परिणाम हर जगह संभव हो रहे हैं। अपनी भारत यात्राओं के दौरान मैंने यह होते देखा है। जब मैं भारत जाता हूं और लोगों से बात करता हूं तो मैं भविष्य के उद्यमों और भारत भर में कई संस्थानों के साथ-साथ मौलिक खोज अनुसंधान में शामिल होने के इच्छुक लोगों के संदर्भ में स्पष्ट अंतर देख सकता हूं। मुझे वहां उद्योग के साथ साझेदारी में काम करने की बहुत अधिक इच्छा दिखती है।

आपके हिसाब से भारत को कौन से कदम उठाने चाहिए?
मुझे लगता है कि NRF की शुरुआत एक अच्छा कदम है । मैं यह देखने की भी कोशिश कर रहा हूं कि जो निवेश किया जा रहा है आप उसमें कैसे तालमेल बैठा सकते हैं। विभिन्न विभागों द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने, नवाचारों और खोजों को एक साथ लाने के अलावा न केवल प्रमुख संस्थानों में बल्कि देश भर के कई संस्थानों में और अधिक शोध गहनता बनाने की कोशिश की जा रही है। दूसरी बात यह है कि कुशल तकनीकी कार्यबल-आधारित संस्थानों का निर्माण करने के लिए भारत में बहुत सारे युवा हैं। लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों को भविष्य के उद्योगों के लिए प्रशिक्षित किया जाए। ताकि भविष्य की नौकरियां हर किसी के लिए अवसर के रूप में सामने आएं। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भविष्य के उद्योगों की सफलता सुनिश्चित की जाए।

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