कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद दुनिया भर के कश्मीरी हिंदू समुदाय में गहरा दुख और शोक फैला हुआ है। वे इस दर्दनाक घटना को याद करते हैं और इसे अपने समुदाय के खिलाफ दशकों से हो रही निशाना बनाकर की गई हिंसा की डरा देने वाली गूंज बता रहे हैं।
ह्यूस्टन, टेक्सास में रहने वाले कश्मीरी पंडित अमित रैना ने न्यू इंडिया अब्रॉड को दिए इंटरव्यू में कहा, 'दूसरों को यह हैरान करने वाला लग सकता है, लेकिन हमारे समुदाय के लिए यह कोई नई बात नहीं है।' उन्होंने कश्मीर में हिंदुओं पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए अमरनाथ नरसंहार, वंदमा नरसंहार, नंदीग्राम नरसंहार और छत्तीसिंहपुरा नरसंहार जैसी घटनाओं को याद किया। रैना ने कहा, 'इन सभी हमलों का एक ही मकसद था – लोगों को सिर्फ उनके धर्म की वजह से मार देना।'
उन्होंने पहलगाम हमले को उसी बर्बर, कट्टर इस्लामिक विचारधारा का विस्तार बताया और कहा कि यह रेडिकल इस्लामिक सोच न सिर्फ इंसानियत, बल्कि पूरी सभ्य दुनिया के लिए खतरा है।"
35 साल पुराने जख्म फिर हरे
ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा के सह-संस्थापक सुरेंद्र कौल ने भी इसी दर्द को साझा करते हुए कहा कि पहलगाम हमला हमें झकझोर गया और 1990 के दशक के नरसंहारों की याद दिला दी। वहीं, कश्मीरी ओवरसीज एसोसिएशन के प्रमुख उपहार कोटरू ने हमले पर गुस्सा और दर्द जताते हुए इसे अनसुलझे इंसाफ का लंबा सिलसिला बताया।
कोटरू ने कहा, '1990 में हमारे साथ जो हुआ, जो दर्द हमने झेला, और जिस इंसाफ की कमी आज तक बनी हुई है – वह सब आज फिर हमारी आंखों के सामने घूम रहा है। पिछले 35 सालों के जख्म फिर से हरे हो गए हैं।"
अब कड़े कदमों का वक्त आ गया है
कोटरू ने कश्मीरी हिंदू समुदाय की पीड़ा को लेकर राजनीतिक उपेक्षा पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, 'न्यायिक, राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक – किसी भी स्तर पर हमें इंसाफ नहीं मिला।' पहलगाम हमले के मामले में उन्होंने न्याय की उम्मीद जताई।
कौल ने सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी के कदमों से ही उनका आकलन होगा। इस बार बड़ा हमला हुआ है, तो बड़ी कार्रवाई चाहिए। हम उसी का इंतजार कर रहे हैं।
कोटरू ने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा सिर्फ स्थानीय आतंकियों तक सीमित नहीं, बल्कि पाकिस्तान और कट्टर इस्लामिक विचारधारा से जुड़ा है। उन्होंने तुरंत, रणनीतिक और अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की अपील की। उन्होंने कहा कि अब सैन्य, आर्थिक, कूटनीतिक, हर स्तर पर कदम उठाने का वक्त आ गया है।
अमेरिकी समर्थन के लिए आभार
रैना ने अंतरराष्ट्रीय समर्थन, खासकर अमेरिका के रुख का स्वागत किया। उन्होंने कहा, 'मैं अमेरिका का शुक्रगुजार हूं कि उसने भारत सरकार को पूरा समर्थन दिया है।' 1990 के पलायन के दौरान सोशल मीडिया और मजबूत मीडिया कवरेज की कमी को याद करते हुए उन्होंने कहा, 'आज मीडिया हमारी आवाज बन रहा है, इसके लिए हम आभारी हैं।' उन्होंने नरसंहार के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई और कश्मीरी पंडित पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की।
कौल ने डायस्पोरा की ओर से वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाने के प्रयासों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 5 मई को वाशिंगटन डी.सी. में अमेरिकी कांग्रेस के सामने आतंकवाद के खतरे को लेकर एक जरूरी सुनवाई आयोजित की जा रही है। इसके अलावा, अमेरिका के 50 से ज्यादा शहरों के साथ-साथ कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में भी पहलगाम हमले की निंदा में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कौल ने कहा, 'इंसानी जानें कीमती हैं। हम आतंक के खिलाफ खड़े होकर अपने साथी इंसानों का साथ देते रहेंगे।'
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login