भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से आयातित वाहनों और ऑटो पार्ट्स पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाने के फैसले का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने इसे "महंगाई बढ़ाने वाला कदम करार देते हुए कहा कि अमेरिकी ऑटो इंडस्ट्री को इससे काफी नुकसान होगा.
2 अप्रैल से लागू होने वाले ये टैरिफ देश में वाहनों का उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से लगाए गए हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे गाड़ियों की कीमतें बढ़ेंगी, सप्लाई चेन बाधित होगी और ऑटो इंडस्ट्री में नौकरियों पर संकट आएगा।
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मिशिगन के 13वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट के प्रतिनिधि श्री थानेदार ने कहा कि इन टैरिफ से वाहनों की कीमतें पांच हजार से लेकर 10 हजार डॉलर तक बढ़ सकती हैं। साथ ही महीने की किस्तें और बीमा खर्च भी बढ़ जाएंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिकन ऑटो इंडस्ट्री विदेशी पार्ट्स पर निर्भर है और ये टैरिफ उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मैं विदेशी वाहनों और ऑटो पार्ट्स पर लगाए गए राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से लगाए गए इन टैरिफ का कड़ा विरोध करता हूं। मैं मैन्युफैक्चरिंग और नौकरियों को बढ़ावा देने के प्रयासों का समर्थक हूं, लेकिन यह सही तरीका नहीं है।
श्री थानेदार ने कहा कि इस टैरिफ की वजह से ऑटोमोबाइल्स की बिक्री में गिरावट आएगी जिससे मैन्युफैक्चरर्स का मुनाफे घटेगा। कर्मचारियों की छंटनी और वेतन में कटौती जैसे कदम भी देखने को मिल सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि टैरिफ बढ़ाने से अमेरिकी ऑटो वर्कर्स को नुकसान होगा। उन्होंने आगाह किया कि अगर दूसरे देश भी जवाबी टैरिफ का कदम उठाते हैं तो अमेरिका में महंगाई और भी ज्यादा बढ़ सकती है।
टैरिफ के ऐलान के बाद जनरल मोटर्स और फोर्ड जैसी प्रमुख अमेरिकी ऑटो कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई। वहीं टेस्ला और रिवियन जैसे इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को फायदा हुआ क्योंकि उनकी उत्पादन प्रक्रिया विदेशी कंपोनेंट्स पर ज्यादा निर्भर नहीं है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस टैरिफ से ऑटो सेक्टर की सालाना लागत में 100 बिलियन डॉलर तक का इजाफा कर सकते हैं। इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा और बिक्री की रफ्तार धीमी हो सकती है।
कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने इन टैरिफ को कनाडाई ऑटो वर्कर्स पर सीधा हमला करार देते हुए कहा कि उनकी सरकार इसके जवाब में कदम उठाने पर विचार कर रही है।
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