अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय मूल की सिख हरमीत ढिल्लों को न्याय विभाग में असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल (सिविल राइट्स) नामित करने की घोषणा की है।
अमेरिकी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और कैलिफोर्निया से रिपब्लिकन पार्टी की नेता हरमीत ढिल्लों अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर धार्मिक स्वतंत्रता तक के मुद्दों पर मुखर आवाज उठाने के लिए चर्चित हैं। नई भूमिका में ढिल्लों नागरिक अधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगी जिसमें भेदभाव से निपटने और संवैधानिक स्वतंत्रता को बनाए रखना शामिल है।
भारत के चंडीगढ़ में जन्मी हरमीत दो साल की उम्र में परिवार के साथ अमेरिका आ गई थीं। न्यूयॉर्क आने से पहले उनकी परवरिश उत्तरी कैरोलिना में हुई। ढिल्लन ने डार्टमाउथ कॉलेज से क्लासिकल स्टडीज और इंग्लिश में ग्रेजुएशन किया है।
हरमीत ने उसके बाद यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के स्कूल ऑफ लॉ से ज्यूरिस डॉक्टर की पढ़ाई की और वर्जीनिया लॉ रिव्यू के संपादकीय बोर्ड में काम किया। 2006 में उन्होंने नेशनल कानूनी फर्म ढिल्लों लॉ ग्रुप की स्थापना की जिसके कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, फ्लोरिडा और वर्जीनिया में कार्यालय हैं।
ट्रम्प ने नागरिक स्वतंत्रता के प्रति ढिल्लों की प्रतिबद्धता की प्रशंसा करते हुए कहा कि हरमीत लगातार नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ी रही हैं, सेंसरशिप पर बड़ी कंपनियों से टक्कर ली है, कोविड के दौरान ईसाइयों के प्रार्थना करने के अधिकार का बचाव किया है और दफ्तरों में भेदभावपूर्ण नीतियों को चुनौती दी है। उन्होंने सिख समुदाय से उनके गहरे संबंधों का भी जिक्र किया।
हरमीत ढिल्लों ने एक्स पर अपनी पोस्ट में ट्रम्प और उनके परिवार का आभार व्यक्त करते हुए लिखा कि देश के नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा नामांकित किए जाने से मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं। मैं इसका श्रेय अपनी मां-भाई के अटूट समर्थन और पिता तेजपाल व पति सर्व को देती हूं जो अब हमारे साथ नहीं हैं। मुझे उम्मीद है कि ईश्वर की कृपा से मैं उनकी विरासत का सम्मान करूंगी।
हरमीत ढिल्लों अब ट्रम्प 2.0 कैबिनेट में प्रमुख पदों के लिए नामित होने वाली चौथे भारतीय-अमेरिकी हैं। उनसे पहले जय भट्टाचार्य (राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान), विवेक रामास्वामी (सरकारी दक्षता विभाग) और कश्यप 'काश' पटेल (एफबीआई निदेशक) को नामांकित किया जा चुका है।
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