सिख समुदाय अमेरिका में तीसरा सबसे ज्यादा निशाने पर रहने वाला धार्मिक समूह है। ये बात फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) ने इस सप्ताह जारी अपने लेटेस्ट राष्ट्रव्यापी नफरती अपराधों के आंकड़ों के आधार पर कही है।
पिछले साल नफरती घटनाओं के डेटा के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सिख विरोधी घृणा अपराध 2022 के स्तर से थोड़ा कम हुए हैं। फिर भी सिखों को पूर्वाग्रह से प्रेरित हिंसा के महत्वपूर्ण स्तर का सामना करना पड़ रहा है।
एफबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सिखों को निशाना बनाने वाली घटनाओं से ज्यादा केवल यहूदी और मुस्लिम समुदायों को टारगेट करने वाली घटनाएं हुईं। कुल मिलाकर देश में घृणा अपराधों में वृद्धि हुई है। एफबीआई के अनुसार 2023 में ऐसी 11,862 घटनाएं दर्ज की गई जबकि 2022 में ऐसी वारदातों की संख्या 11,634 थी।
अमेरिका स्थित सिख नागरिक अधिकार संगठन सिख कोएलिशन का कहना है कि सिखों के खिलाफ नफरती घटनाओं में वृद्धि काफी चिंताजनक है। हालांकि उसका कहना है कि इसे अक्टूबर 2023 या 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की वजह से बढ़ते राष्ट्रीय तनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
संगठन का कहना है कि घटनाओं की संख्या में बढ़ोतरी की एक वजह एफबीआई का राष्ट्रीय स्तर पर घटनाओं की रिपोर्टिंग के नए सिस्टम एनआईबीआरएस को अपनाना भी है, जिसकी वजह से डेटा कलेक्शन में उल्लेखनीय सुधार आया है। अब स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियां भी अपने इलाकों में घृणा अपराधों की रिपोर्ट करने से नहीं चूक रही हैं।
सिख कोएलिशन की फेडरल पॉलिसी मैनेजर मनीरमल कौर ने कहा कि सिख विरोधी नफरती घटनाओं में पिछले साल के मुकाबले आई मामूली कमी से हम खुश हैं लेकिन हम इस बात को लेकर चिंतित भी हैं कि सिख सबसे अधिक निशाना बनाए जाने वाले धार्मिक समूहों में से एक हैं।
सिख कोएलिशन का कहना है कि वह नफरती घटनाओं को रोकने के लिए रिपोर्टिंग में सुधार अधिनियम (IRPHA), अंडर रिपोर्टिंग के समस्या से निपटने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जवाबदेही में सुधार के लिए मजबूत उपायों पर जोर देता रहेगा। घृणा अपराध की रोकथाम के उपायों को लेकर संगठन की जल्द ही वाशिंगटन डीसी में नीति निर्माताओं के साथ चर्चा होनी है।
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