भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 16 फरवरी को म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस (MSC) में पश्चिमी देशों के लोकतंत्र के तरीके पर तीखा हमला बोला। उन्होंने पश्चिमी मुल्कों पर 'डबल स्टैंडर्ड' अपनाने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि पश्चिमी देश तो लोकतंत्र का ढिंढोरा पीटते हैं, लेकिन ग्लोबल साउथ में अलोकतांत्रिक ताकतों को सपोर्ट करते हैं।
जयशंकर ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा, #MSC2025 में 'अपवाद और अपवादवाद: 2025 विश्व व्यवस्था को समझना' पर चर्चा में राष्ट्रपति @alexstubb, लाना नुसेबेह, @JonHuntsman, और @NathalieTocci के साथ शामिल हुआ।'
जयशंकर ने भारत के लोकतांत्रिक रुतबे को भी उजागर किया, खास तौर पर देश में चुनावों में भारी मतदान पर जोर दिया। हाल ही के स्थानीय चुनाव में अपनी उंगली पर लगी स्याही दिखाते हुए उन्होंने कहा, 'भारत के चुनावों में, लगभग दो-तिहाई योग्य मतदाता वोट करते हैं। राष्ट्रीय चुनावों में लगभग 900 मिलियन मतदाताओं में से लगभग 700 मिलियन ने वोट दिया। हम एक ही दिन में वोटों की गिनती करते हैं।'
उन्होंने सुझाव दिया कि पश्चिमी देशों को भारत की लोकतांत्रिक सफलता पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, 'भारतीय अनुभव उनके समाजों के लिए शायद दूसरों की तुलना में ज्यादा प्रासंगिक है।' इससे उन्होंने इस धारणा को मजबूती के साथ पेश किया कि लोकतंत्र सिर्फ पश्चिम का एकाधिकार नहीं है।
बातचीत में एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लॉटकिन ने कहा कि 'लोकतंत्र पेट नहीं भरता।' जयशंकर ने इस बात का खंडन करते हुए भारत के कल्याणकारी कार्यक्रमों का हवाला दिया और कहा कि भारत में लोकतांत्रिक शासन 800 मिलियन लोगों को खाने की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। उनके जवाब से ये बात साफ हुई कि जब लोकतंत्र को सही तरीके से लागू किया जाता है, तो वो नागरिकों को ठोस फायदे दे सकता है।
जयशंकर ने दुनिया भर में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की अलग-अलग सफलताओं को भी माना। उन्होंने कहा, 'कुछ जगहें हैं जहां यह अच्छी तरह से काम कर रहा है। शायद कुछ जगहें हैं जहां यह नहीं कर रहा है। जिन हिस्सों में यह नहीं कर रहा है, मुझे लगता है कि लोगों को इस बारे में ईमानदार बातचीत करने की जरूरत है कि ऐसा क्यों नहीं है।' उन्होंने बताया कि भारत ने आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद लोकतांत्रिक मॉडल के प्रति वफादार रहा है।
उन्होंने आगे कहा, 'जब आप दुनिया के हमारे हिस्से को देखते हैं, तो हम लगभग अकेले ऐसे देश हैं जिन्होंने ऐसा किया है। इसलिए, मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जिस पर पश्चिम को ध्यान देना चाहिए। क्योंकि अगर आप चाहते हैं कि लोकतंत्र अंततः सफल हो, तो यह जरूरी है कि पश्चिम, पश्चिम के बाहर के सफल मॉडलों को भी अपनाएं।'
जयशंकर की टिप्पणियां ग्लोबल साउथ के देशों में बढ़ती हुई निराशा को दर्शाती हैं, जो पश्चिम द्वारा लोकतांत्रिक सिद्धांतों के चयनित अनुप्रयोग को देखते हैं। उन्होंने पहले भी पश्चिमी देशों की आलोचना की है कि वे यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दों पर वैश्विक एकजुटता की उम्मीद करते हैं, जबकि गैर-पश्चिमी देशों के सामने आने वाली चुनौतियों को नजरअंदाज करते हैं।
जयशंकर के स्पष्ट बयानों ने पश्चिम में धूम मचा दी है। एक्स यूजर मारिया विर्थ ने शेयर किया, 'एक लोकप्रिय जर्मन पॉडकास्टर (AktienMitKopf) ने भारत के विदेश मंत्री @DrSJaishankar द्वारा म्यूनिख में कही गई बातों का उद्धरण और अनुवाद किया। वह खुश थे कि डॉ. जयशंकर ने पाखंडी यूरोपीय संघ को उसकी जगह दिखाई। 2 घंटे के भीतर, उनके वीडियो को 78 हजार व्यूज और 23 हजार लाइक्स मिले। लाइक्स का अनुपात असामान्य रूप से ज्यादा था।'
जर्मन पॉडकास्टर Aktien mit Kopf के होस्ट कोल्जा बरघोर्न ने जयशंकर की टिप्पणियों का पूरा वीडियो शेयर किया। वीडियो का शीर्षक था 'म्यूनिख: भारतीय विदेश मंत्री ने यूरोपीय संघ पर बम गिराया।'
14 से 16 फरवरी तक आयोजित MSC ने सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर चर्चा करने के लिए वैश्विक नेताओं को एक साथ लाया। यह सम्मेलन जर्मनी के म्यूनिख में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला एक कार्यक्रम है जो अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर केंद्रित है।
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