दक्षिण भारतीय छात्रों और प्रवासी पेशेवरों के लिए घर का स्वाद सिर्फ एक याद नहीं, बल्कि एक जरूरत है। घर में बने अचार और मसालों का तीखा और चटपटा स्वाद अब केवल रसोई तक सीमित नहीं रह गया है, करोड़ों डॉलर की इंडस्ट्री बन चुका है। अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के सुपरमार्केट्स में ये पारंपरिक प्रोडक्ट नजर आने लगे हैं।
छोटे कारोबार से बड़े बिजनेस तक
हैदराबाद, चेन्नई और अन्य दक्षिण भारतीय शहरों में शुरू हुआ छोटे स्तर का किचन कारोबार अब एक बड़े एक्सपोर्ट बिजनेस में बदल गया है। हैदराबाद और चेन्नई इसके प्रमुख केंद्र हैं। भारतीय छात्र और एनआरआई जो कभी भारी मात्रा में अचार और मसाले घर से ले जाते थे, वे अब विदेश में इन उत्पादों की मांग करने लगे हैं। इसका नतीजा है कि मार्केट्स में भी ये उपलब्ध होने लगे हैं। सबसे अधिक बिकने वाले उत्पादों में गोंगुरा अचार, आवकाया आम का अचार नल्ला करम पूडी , सांबर, रसम पूडी, क्रिस्पी स्नैक्स चेक्कलू और मुरुक्कू शामिल हैं।
खान-पान नहीं, भावनात्मक जुड़ाव
विदेशों में रहने वाले छात्रों और नौकरीपेशा लोगों के लिए ये उत्पाद सिर्फ खाने का हिस्सा नहीं बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव हैं। शिकागो में पढ़ रहे आईटी स्टूडेंट साई प्रणव कहते हैं कि जब भी मैं भारत जाता हूं, मेरी मां 5-10 किलो पूडी, अचार और स्नैक्स पैक कर देती हैं। मैं और मेरे दोस्त जमकर खाते हैं। कई बार एक्स्ट्रा होने पर बेच भी देते हैं। लंदन में रहने वाले सुरेश नारायण कहते हैं कि यहां के इंडियन स्टोर्स में अचार तो मिलता है लेकिन घर के बने अचार जैसा स्वाद नहीं आता। अब मैं हैदराबाद की महिलाओं से सीधे अचार मंगवाता हूँ जो थोक में इसे भेजती हैं।
महिलाओं के लिए व्यापार का नया अवसर
इस बढ़ती मांग ने कई महिलाओं के लिए बिजनेस के नए अवसर खोल दिए हैं। पहले जो केवल अपने रिश्तेदारों के लिए अचार और मसाले बनाती थीं, वे अब हर महीने हजारों किलो उत्पाद विदेश भेज रही हैं। हैदराबाद की 58 वर्षीय हेमावती बताती हैं कि उन्होंने रिश्तेदारों के लिए गोंगुरा और आम का अचार बनाना शुरू किया था, लेकिन फिर उनके दोस्तों से भी ऑर्डर मिलने लगे। अब मैं हर महीने अमेरिका और ब्रिटेन में 500 किलो से अधिक अचार भेजती हूं। चेन्नई की सुजाता रेड्डी बताती हैं कि हमारे घर के बने सांबर और रसम पूडी की विदेशों में जबरदस्त मांग है क्योंकि इनमें कोई प्रिज़रवेटिव्स नहीं होते और ये पूरी तरह जैविक होते हैं। अब लंदन के कई सुपरमार्केट हमारे उत्पाद रखने लगे हैं।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी बढ़ी मांग
न सिर्फ छोटे घरेलू ब्रांड बल्कि बड़े सुपरमार्केट और अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी इन उत्पादों को दुनिया भर में पहुंचा रहे हैं। चेन्नई के बिजनेसमैन वेंकटेश कहते हैं कि पहले हम अपने लोकल मार्केट में ही बेचते थे लेकिन अब हमारे ग्राहक पूरी दुनिया में हैं। मांग इतनी बढ़ गई है कि हम अपने बिजनेस का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं।
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