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वायरलेस सिस्टम के पितामह आरोग्यस्वामी पॉलराज को स्टैनफोर्ड देगा अनूठा सम्मान

आरोग्यस्वामी पॉलराज को MIMO तकनीक का पितामह कहा जाता है। एमआईएमओ यानी मल्टीपल इन, मल्टीपल आउट। ये 4G, 5G और WiFi सहित सभी आधुनिक ब्रॉडबैंड वायरलेस सिस्टम के लिए जरूरी आधार के रूप में कार्य करता है।

डॉ. आरोग्यस्वामी पॉलराज को हाल ही में यूके की रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तिगत पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। / X @stanford_ee

अमेरिका के पालो ऑल्टो स्थित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी आगामी 29 जुलाई को अमेरिकी-भारतीय आविष्कारक डॉ. आरोग्यस्वामी पॉलराज के 80वें जन्मदिन पर अनूठी कार्यशाला का आयोजन करेगा। इसका नाम 'सेलिब्रेटिंग थ्री डिकेड्स ऑफ एमआईएमओ' होगा। संयोग से इसी दिन आरोग्यस्वामी पॉलराज का 80वां जन्मदिन भी है।

आरोग्यस्वामी पॉलराज को MIMO तकनीक का पितामह कहा जाता है। एमआईएमओ यानी मल्टीपल इन, मल्टीपल आउट। ये 4G, 5G और WiFi सहित सभी आधुनिक ब्रॉडबैंड वायरलेस सिस्टम के लिए जरूरी आधार के रूप में कार्य करता है।

दुनिया भर में 6.5 अरब से अधिक स्मार्टफोन यूजर्स इस वक्त एमआईएमओ संचालित वायरलेस नेटवर्क का ही इस्तेमाल करते हैं। वैश्विक इंटरनेट का लगभग 75% इस्तेमाल अब वायरलेस होता है। एडवांस अर्थव्यवस्था वाले देशों में डिजिटल अर्थव्यवस्था इस समय जीडीपी का 10% है। अगले कुछ दशकों में इसके 40% तक पहुंचने की उम्मीद है। विशेषज्ञ मानते हैं कि वायरलेस नेटवर्क का मौजूदा वैश्विक आर्थिक मूल्य 7.5 ट्रिलियन डॉलर सालाना से अधिक है।

एमआईएमओ कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्टैनफोर्ड से एमआईएमओ के लिए पहला पेटेंट 1994 में जारी किया गया था। एमआईएमओ वायरलैस 
के तहत अब तक दुनिया भर में 5,70,000 से अधिक पेटेंट हो चुके हैं। लगभग इतने ही रिसर्च पब्लिश हुए हैं और हजारों पीएचडी की जा चुकी हैं। 

आरोग्यस्वामी पॉलराज को इस महीने की शुरुआत में यूके की रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तिगत पुरस्कार प्रिंस फिलिप मेडल से सम्मानित किया गया था। 11 जून को लंदन में अकादमी की रॉयल फेलो हिज रॉयल हाइनेस द प्रिंसेस रॉयल ने पुरस्कार प्रदान किया था।

डॉ. पॉलराज ने भारतीय नौसेना में 25 वर्षों तक आरएंडडी असाइनमेंट पर कार्य किया है। इसमें एएसडब्ल्यू सोनार सिस्टम विकसित करने से लेकर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और आईआईटी दिल्ली में सिग्नल प्रोसेसिंग सिद्धांत के विकास में अमूल्य योगदान शामिल है। 

वह भारत के लिए तीन राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं - एआई व रोबोटिक्स, हाई-स्पीड कंप्यूटिंग और सैन्य इलेक्ट्रॉनिक्स की स्थापना में भी शामिल रहे हैं। 1991 में नौसेना से कमोडोर पद से रिटायर होने के बाद डॉ पॉलराज शोध सहयोगी के रूप में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से जुड़ गए थे। 

डॉ पॉलराज को प्रौद्योगिकी की दुनिया के कई शीर्ष सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें फैराडे मेडल, अलेक्जेंडर ग्राहम बेल मेडल और मार्कोनी पुरस्कार शामिल हैं। भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण और चीन सरकार ने मैत्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। 
 

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