एक ताजा अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारत में ट्रांसजेंडर महिलाओं में एचआईवी संक्रमण का खतरा राष्ट्रीय औसत से करीब 20 गुना अधिक है। यह अध्ययन प्रतिष्ठित जर्नल ग्लोबल पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित हुआ है, जिसमें ट्रांसजेंडर समुदाय की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार की "टेस्ट एंड ट्रीट" योजना के तहत एचआईवी संक्रमित मरीजों को तुरंत मुफ्त एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) उपलब्ध कराई जाती है। इसके बावजूद, ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए इस जीवनरक्षक उपचार तक पहुंच बेहद सीमित बनी हुई है।
अध्ययन के अनुसार, आर्थिक तंगी, सामाजिक भेदभाव और जेंडर-अफर्मिंग हेल्थकेयर की कमी जैसी संरचनात्मक बाधाएं इस समस्या को और गंभीर बना रही हैं। कई ट्रांसजेंडर महिलाएं दवा लेना शुरू तो करती हैं, लेकिन विभिन्न कारणों से उनका इलाज बाधित हो जाता है, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो सकती है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि एचआईवी से निपटने के लिए केवल मुफ्त इलाज देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि समाज में जागरूकता बढ़ाने, रोजगार के अवसर देने और स्वास्थ्य सेवाओं को ट्रांसजेंडर अनुकूल बनाने की भी जरूरत है।
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