ब्रिटेन और आयरलैंड के बाजार में अपनी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध प्रमुख परामर्शदाता कंपनी फ़तेह एजुकेशन ने विदेशों में पढ़ रहे 300 से अधिक छात्रों के बीच भारत में एक व्यापक अध्ययन करके दावा किया है कि विदेश में पढ़ाई की चाहत रखने वाले छात्रों के लिए विश्वविद्यालय रैंकिंग अब भी सर्वाधिक मायने रखती है। खास तौर से विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले भारतीय छात्रों की प्राथमिकता विश्वविद्यालय की रैंकिंग है।
अध्ययन के निष्कर्ष प्रतिष्ठित रैंकिंग वाले संस्थानों के लिए प्राथमिकता का संकेत देते हैं। यह अकादमिक प्रतिष्ठा से जुड़े महत्व को दर्शाने वाला संकेतक भी है। उच्च रैंक वाले संस्थानों के लिए यह प्राथमिकता इस बात का भी संकेत है कि भारतीय छात्र अपने पसंदीदा देश की स्थानीय शिक्षा प्रणाली से अपरिचित हैं और एक मार्गदर्शक के रूप में रैंकिंग पर बहुत अधिक भरोसा करते हैं।
सर्वे के मुताबिक ट्यूशन फीस, नौकरी के अवसर, रहने की लागत, छात्रवृत्ति की उपलब्धता और अध्ययन के बाद कार्य वीजा जैसे अन्य कारकों को भी विश्वविद्यालय चुनते समय छात्रों के लिए महत्वपूर्ण विचारों के रूप में दिखाया गया है। स्पष्ट हुआ है कि ये कारक किसी विश्वविद्यालय में अपने समय के दौरान अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए उपलब्ध अपेक्षित समग्र अनुभव और अवसरों को बहुत प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त किसी संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली सांस्कृतिक विविधता और सहायता सेवाएं भी इन छात्रों को आकर्षित करने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों को लेकर फतेह एजुकेशन के सीईओ और सह-संस्थापक सुनीत सिंह कोचर कहते हैं कि वीज़ा मानदंडों में बदलाव और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा पर भू-राजनीति के प्रभाव के बीच एक बात स्पष्ट है कि गुणवत्ता वाले भारतीय छात्र अकादमिक मामले को प्राथमिकता देते हैं। विदेश में अध्ययन करने के इच्छुक भारतीय छात्रों का प्राथमिक उद्देश्य बेहतर विश्वविद्यालयों और बेहतर व्यावसायिक संभावनाओं की तलाश है।
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