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न्यू जर्सी के अक्षरधाम में भक्ति-संगीत और उल्लास का संगम, धूमधाम से मनाई गई रामनवमी

न्यू जर्सी के रॉबिन्सविले स्थित BAPS स्वामीनारायण अक्षरधाम में हजारों लोगों ने धूमधाम से रामनवमी मनाई। दो दिनों तक चले इस जश्न में भक्ति, संगीत, और सामुदायिक एकता का अद्भुत नजारा देखने को मिला। इस आयोजन में भव्य शोभायात्राएं, आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल थे।

कार्यक्रम में भक्तिपूर्ण प्रार्थनाओं, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और सामुदायिक मिलन का रंग-बिरंगी तस्वीर देखने को मिली। / BAPS North America

न्यू जर्सी में हजारों लोगों ने इस वीकेंड रोबिंसविले के BAPS स्वामीनारायण अक्षरधाम में रामनवमी का जश्न मनाया। 5 अप्रैल से 6 अप्रैल तक चले इस दो दिवसीय कार्यक्रम में भक्तिपूर्ण प्रार्थनाओं, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और सामुदायिक मिलन का रंग-बिरंगी तस्वीर देखने को मिली।

इस आयोजन में हर वर्ग के परिवार, बच्चे और आम लोग शामिल हुए। इससे साफ दिखा कि भगवान राम और भगवान स्वामीनारायण के बताए रास्ते पर चलकर हम सब एकता और भाईचारे की भावना को कितनी गहराई से महसूस कर सकते हैं। 

BAPS स्वामीनारायण अक्षरधाम में भक्त त्योहार के पहले दिन दोपहर में विशेष आरती अनुष्ठान और पूजा में हिस्सा लेने के लिए इकट्ठे हुए। शाम होते ही युवाओं द्वारा तैयार की गई एक शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुति का आयोजन हुआ। इसमें आत्मिक ज्ञान, मधुर संगीत, भक्तिमय नृत्य और छोटे-छोटे नाटक पेश किए गए। इन सभी प्रस्तुतियों में भगवान राम और भगवान स्वामीनारायण की शिक्षाओं और उनके जीवन की झलक साफ दिख रही थी। 

सभा के दौरान दर्शकों के बीच से एक भव्य शोभायात्रा गुजरा, जिसमें भगवान श्रीराम और स्वामीनारायण की खूबसूरती से सजाई गई पवित्र प्रतिमा को बड़ी श्रद्धा से उठाकर ले जाया गया। इस आनंदमयी शोभायात्रा की गूंज पूरे सभागार में सुनाई दी। इससे वहां का माहौल पूरी तरह से अध्यात्म और भक्ति से भर उठा।

अक्षरधाम में जश्न के दूसरे दिन अभिषेक अनुष्ठान हुआ। इसमें भगवान की पवित्र प्रतिमा पर जल अर्पित किया गया। इसके बाद पूरे दिन नीलकंठ प्लाजा में हर घंटे आरती की गई।

भक्त भगवान स्वामीनारायण के किशोर अवतार श्री नीलकंठ वर्णी की 49 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा के सामने एकत्रित हुए। इस पवित्र मूर्ति के दर्शन कर सभी मंत्रमुग्ध हो गए। समारोह का समापन रात ठीक 10:10 बजे एक विशेष समारोह के साथ हुआ। यही वो समय है जब भगवान स्वामीनारायण का अवतरण हुआ था।

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