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वर्षों से समुद्र के बीच फंसे तमिल प्रवासियों की दर्दनाक कहानियां रोंगटे खड़े कर देंगी

ये कैम्प काफी समय से विवादित रहा है। यहां से प्रवासियों की अक्सर भूख हड़ताल, यौन शोषण और उत्पीड़न की खबरें आती रही हैं। 

हिंद महासागर के बीच एक गुमनाम से ब्रिटिश-अमेरिकी सैन्य अड्डे से भागे श्रीलंका और भारत के 60 से अधिक तमिल प्रवासियों को हाल ही में यूके लाया गया है। इनमें 12 बच्चे भी है। ये लोग बरसों से कानूनी अड़चनों के कारण चागोस द्वीप पर फंसे थे। इन्होंने जो कहानियां सुनाईं, वो रोंगटे खड़े करने वाली हैं। 

इन प्रवासियों को चागोस द्वीपसमूह से पास समुद्र में फंसने के बाद रेस्क्यू किया गया था। इन लोगों ने डिएगो गार्सिया द्वीप से लंदन में शरण के लिए आवेदन किया है। इस द्वीप से शरण मांगने वाले ये पहले प्रवासी हैं। 

एक महिला और उसका परिवार तीन साल से इस मिलिट्री बेस पर फंसा हुआ था। उसने बताया कि अक्टूबर 2021 में जब उसे लाया गया था तो कहा गया था कि उसे बस दो दिन यहां रहना होगा। लेकिन कानूनी उलझनें ऐसी बढ़ीं कि तीन साल बीत गए। 

महिला और उसके दो बच्चों को फुटबॉल पिच के बराबर के कैम्प में अन्य प्रवासियों के साथ रखा गया था। ये कैम्प काफी समय से विवादित रहा है। यहां से प्रवासियों की अक्सर भूख हड़ताल, यौन शोषण और उत्पीड़न की खबरें आती रही हैं। 

लंदन में सरकार का कहना है कि इन लोगों के शरण के दावे जटिल कानूनी विवाद में फंस गए थे क्योंकि ये द्वीप संवैधानिक रूप से ब्रिटेन का हिस्सा नहीं है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री इन लोगों को यूके लाने के लिए इच्छुक नहीं थे क्योंकि उन्हें डर था कि इससे इमिग्रेशन का एक नया रास्ता खुल जाएगा। 

डंकन लेविस सॉलिसिटर की वकील और कुछ प्रवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाली ब्रिटिश टीम की सदस्य मारिया पेट्रोवा कोलिन्स का कहना है कि ये एक अभूतपूर्व और असाधारण स्थिति थी। शिविर के हालात बेहद अमानवीय थे।

इस मामले में वकीलों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।  वकीलों और ब्रिटिश जज को अमेरिका द्वारा संचालित सैन्य अड्डे तक पहुंच नहीं दी गई। इसकी वजह से सुनवाई रद्द करनी पड़ी। 

एक प्रवासी ने बताया शिविर में बहुत चूहे थे। कीड़े मकोड़ों का भी खतरा था। तिरपाल टेंट से बारिश का पानी रिसता था। अस्थायी बिस्तरों के बीच बेडशीट लटकाकर लोग रहते थे। हालात बदतर थे। 2023 में करीब पांच प्रवासियों ने आत्महत्या की कोशिश की थी, जिन्हें मेडिकल इमरजेंसी में रवांडा भेजा गया था। 

बचाए गए तमिल प्रवासियों को अब ब्रिटेन में रहने और शरण का दावा करने के लिए छह महीने का समय दिया गया है। इनमें से कुछ को डिएगो गार्सिया अड्डे पर रहते हुए पहले ही अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रदान कर दी गई थी।

ब्रिटेन ने अक्टूबर में कहा था कि वह दशकों के विवाद का केंद्र रहे चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस को सौंप देगा। लेकिन डिएगो गार्सिया सैन्य अड्डे को अपने अधीन रखेगा जो अमेरिकी अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है।

यह सैन्य अड्डा ब्रिटेन के विदेशी क्षेत्रों का हिस्सा है और अमेरिका को पट्टे पर दिया गया है। इसका उपयोग अफगानिस्तान और इराक में युद्ध के दौरान अमेरिका ने लंबी दूरी के बमवर्षक विमानों के लिए किया था।

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