भारत के तेलंगाना राज्य के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने कहा है कि उनकी सरकार विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नया सिस्टम लागू करने की योजना बना रही है। इसका फायदा खासतौर से अमेरिका और खाड़ी देशों में रहने वाले अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को होगा।
हैदराबाद में तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के एनआरआई सेल द्वारा आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने इस योजना को लेकर सरकार के इरादे की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार की योजना मामूली शुल्क लेकर एनआरआई लोगों के बुजुर्ग माता-पिता को सहायता प्रदान करने की भी है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार तेलंगाना गल्फ एंड अदर ओवरसीज बोर्ड की स्थापना पर विचार कर रही है। यह बोर्ड प्रवासी प्रवासी मजदूरों की कल्याणकारी जरूरतों को पूरा करेगा। इसका कार्यालय महात्मा ज्योतिबा फुले प्रजाघर परिसर के अंदर होगा। इसका नेतृत्व कोई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी करेगा।
रेड्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री के सचिव वी. शेषाद्रि शेषाद्रि के मार्गदर्शन में इस सिलसिले में एक नीति दस्तावेज तैयार किया गया है। यह दस्तावेज केरल जैसे राज्यों और फिलीपींस जैसे देशों द्वारा एनआरआई के लिए लागू नीतियों का अध्ययन करके बनाया गया है। शेषाद्रि के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में विदेश मामलों के प्रबंधन का छह साल का अनुभव है।
सीएम रेवंत ने बताया कि फिलीपींस में एक मजबूत प्रवासी नीति लागू की जा चुकी है जिसके तहत रोजगार, कर्मचारियों और उनके अन्य सभी आवश्यक विवरण दर्ज किए गए हैं। ये खाड़ी देशों और राज्यों के बीच होनेवाले संपर्क पर भी नजर रखती है। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने 17 सितंबर तक ऐसी नीति को तेलंगाना में लागू करने की योजना बनाई है।
सीएम ने बताया कि इस नीति का उद्देश्य प्रवासी कामगारों का व्यापक रिकॉर्ड रखना, उन्हें सहायता व प्रशिक्षण प्रदान करना, एजेंटों को लाइसेंस जारी करना, जीवन बीमा देना और प्रवासियों की राज्य में संपत्तियों की सुरक्षा करना है।
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