दूसरे देशों में काम करने वाले प्रवासियों को जोड़ने और उनके लिए राज्य में ही संसाधन विकसित करने के लिए तेलंगाना एक नीति लागू करने जा रहा है। इस तरह की पहल के साथ तेलंगाना अपनी तरह का भारत का पहला राज्य बनने के लिए तैयार है। राज्य का श्रम विभाग, अंतरराष्ट्री श्रम संगठन (आईएलओ), अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन और संयुक्त राष्ट्र महिला के सहयोग से राज्य के प्रवासियों को फिर से संगठित करने और रोजगार खोजने में सहायता करने के लिए एक संसाधन केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है।
पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों ने भी ऐसी ही पहल की है। इन देशों में पहले से ही इस तरह की रणनीतियों को लागू किया है। साउथ एशिया ऐसा क्षेत्र है जो प्रवासी श्रमिकों की उच्च संख्या के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से खाड़ी देशों में जाने वालों की संख्या इन्हीं देशों में ज्यादा है।
तेलंगाना में प्रवासियों की वापसी के लिए एक सहायता प्रणाली पर चर्चा करने और योजना बनाने के लिए केपीएमजी सहित सभी हितधारकों के साथ मंगलवार को एक बैठक आयोजित की गई थी। इसमें बताया गया है कि प्रवासी श्रमिकों पर सटीक डेटा की कमी होने की बात सामने आई। ऐसे में प्रवासियों के सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल को समझने और प्रभावी रणनीतियों को तैयार करने के लिए एक डेटाबेस बनाया जाएगा।
इसके अलावा श्रम विभाग ने पहले से ही आवश्यक दस्तावेजों, सरकारी लाभों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक पहुंचने में प्रवासियों को सहायता प्रदान करने के लिए मंडल स्तर पर दो संसाधन केंद्र स्थापित किए हैं। तेलंगाना के अधिकांश प्रवासी इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, मजदूर और घरेलू कामगार के रूप में काम कर रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, विशेष रूप से महिला प्रवासी शोषण की शिकार हो रही हैं।
श्रम विभाग के अतिरिक्त आयुक्त ई गंगाधर ने श्रम बाजार की जरूरतों के आधार पर तकनीकी प्रशिक्षण, कौशल, लोन की सुविधा और उद्यमशीलता सहायता तक पहुंच के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने प्रवासियों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए स्रोत और गंतव्य देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर भी रोशनी डाली।
गंगाधर ने बताया कि इस नीति का उद्देश्य लौटने वाले प्रवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है। जिन देशों में ये काम कर रहे हैं वहां उनके पास अक्सर शिकायतों की रिपोर्ट करने के लिए सपोर्ट सिस्टम और सहयोग की की कमी होती है। उन्होंने कहा कि नई नीति वित्तीय लक्ष्यों, शिक्षा, कार्य, पारिवारिक संकट, स्वास्थ्य आपात स्थिति, व्यक्तिगत वित्तीय प्रबंधन, न्याय तक पहुंच, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षा पर केंद्रित है।
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