लाखों भारतीय पेशेवरों के लिए H-1B वीजा एक सुनहरा टिकट है। यानी एक उच्च-भुगतान वाली तकनीकी नौकरी, बेहतर जीवन शैली और सिलिकॉन वैली में काम करने की प्रतिष्ठा का प्रवेश द्वार। हालांकि ट्रम्प प्रशासन द्वारा वीजा नीतियों को सख्त करने के साथ इस सपने को हासिल करना कठिन होता जा रहा है।
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इन हालात में जहां हताशा होती है वहीं शोषण भी होता है। भर्ती करने वाले, नकली कंसल्टेंसी और धोखाधड़ी वाली नौकरी की पेशकश करने वाले घोटालेबाज अब आशावादी आवेदकों को अपना शिकार बना रहे हैं और उनके सुनहरी अमेरिकी सपने को दुःस्वप्न में बदल रहे हैं।
H-1B वीजा परिदृश्य और उसकी कमजोरियां
H-1B वीजा कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को विशेष क्षेत्रों, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और स्वास्थ्य सेवा में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। भारत पारंपरिक रूप से H-1B आवेदनों पर हावी रहा है जहां हज़ारों IT पेशेवर अमेरिका में अवसर तलाश रहे हैं। हालांकि प्रतिस्पर्धा अभी भी बड़ी है। वित्त वर्ष 2024 के लिए 85,000 वीजा और 780,884 आवेदनों की वार्षिक सीमा रही है। इस बड़ी मांग ने धोखेबाजों और घोटालेबाजों के लिए उपजाऊ जमीन तैयार कर दी है। धोखेबाज आशावान भारतीय आप्रवासियों को शिकार बना रहे हैं।
Case Study 1 : फर्जी OpenAI नौकरी घोटाला
वर्ष 2024 के मध्य में एक ऐसा घोटाला सामने आया जिसमें भारतीय पेशेवरों को यह विश्वास दिलाकर धोखा दिया गया कि उन्होंने OpenAI के साथ दूरस्थ नौकरी हासिल कर ली है। टेलीग्राम और लिंक्डइन पर भर्ती करने वालों के रूप में प्रस्तुत होने वाले घोटालेबाजों ने क्रिप्टोकरंसी में भुगतान के साथ घर से काम करने के अवसर पेश किए। डॉलर में कमाई की संभावना से लुभाए गए कई पीड़ितों को 50,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये (600-6000 डॉलर) तक के 'प्रशिक्षण जमा' करने के लिए धोखा दिया गया। हैदराबाद के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने बताया कि यह एक घोटाला था। मगर इससे पहले कि उसे इसका अहसास हुआ कि वह 3.2 लाख रुपये (3,000 डॉलर) गंवा चुका था।
Case Study 2 : नैनोसेमेंटिक्स H-1B वीजा धोखाधड़ी
नवंबर 2024 में भारतीय मूल के तीन व्यक्तियों से जुड़ा एक बड़ा वीजा धोखाधड़ी का मामला प्रकाश में आया। यू.एस.-आधारित स्टाफिंग फर्म नैनोसेमेंटिक्स के सह-मालिक किशोर दत्तापुरम और उनके सहयोगी कुमार अश्वपति और संतोष गिरि ने H-1B वीजा आवेदनों में हेराफेरी करने का दोष स्वीकार किया।
उन्होंने नौकरी के प्रस्तावों को फर्जी बनाया। इससे भारतीय आवेदकों को यह विश्वास हो गया कि उन्हें अमेरिका में रोजगार मिल गया है। वास्तव में ऐसी कोई नौकरी मौजूद नहीं थी। धोखाधड़ी वाली इस योजना ने न केवल आशावान भारतीय श्रमिकों को ठगा, बल्कि यू.एस. वीजा नियमों का भी उल्लंघन किया। अपराधियों को अब 10 साल तक की जेल हो सकती है।
कैसे होते हैं ये घोटाले
घोटालेबाज भारतीय पेशेवरों का शोषण करने के लिए कई हथकंडे अपनाते हैं। फर्जीवाड़ा करने वाले आशावान आवेदकों को कई तरह के प्रलोभव देते हैं ताकि उन्हे अहसास हो जाए कि काम वास्तन में हो रहा है। जैसे कि...
इन घोटालों का शिकार होने वाले भारतीय पेशेवरों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। कई लोगों को भारी वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ता है, धोखाधड़ी वाली योजनाओं के लिए उधार लेना पड़ता है या बचत को खत्म करना पड़ता है और हजारों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ता है।
इससे भी बुरी बात यह है कि कोई अनजाने में ही धोखाधड़ी वाले वीजा आवेदनों में उलझ जाता है। इस कारण उसे अस्वीकार कर दिया जाता है। यात्रा प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं या अमेरिकी अधिकारियों द्वारा कानूनी कार्रवाई भी की जाती है। इससे उनके भविष्य के अवसर भी खतरे में पड़ जाते हैं।
प्रतिक्रियाएं और कार्रवाई
पिछले कुछ वर्षों में अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) ने H-1B वीजा धोखाधड़ी से निपटने के लिए अपने प्रयासों को तेज़ कर दिया है। आवेदनों की अधिक कठोरता से जांच की है और धोखाधड़ी करने वाली फर्मों को ब्लैकलिस्ट किया है।
भारतीय अधिकारियों ने भी चेतावनी जारी की है जिसमें नौकरी चाहने वालों से भुगतान करने से पहले भर्ती फर्मों को सत्यापित करने का आग्रह किया गया है। हालांकि, प्रवर्तन चुनौतीपूर्ण बना हुआ है क्योंकि घोटालेबाज अक्सर विदेशों में काम करते हैं। इससे कानूनी कार्रवाई मुश्किल हो जाती है।
इसके अलावा H-1B आवेदकों को आधिकारिक कंपनी की वेबसाइटों के माध्यम से नौकरी के प्रस्तावों को सत्यापित करना चाहिए, अग्रिम शुल्क की आवश्यकता वाले अनचाहे प्रस्तावों से बचना चाहिए, USCIS.gov जैसे विश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा करना चाहिए और गारंटीकृत वीजा का वादा करने वाले अनधिकृत बिचौलियों से बचना चाहिए।
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