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उत्तर-दक्षिण की सीमाओं के आर-पार भारत का सिने-संसार

सिनेमा के दर्शक दोनों ओर हैं। और बड़ी तादाद में हैं। लिहाजा न उत्तर वाले दक्षिण को और न ही दक्षिण वाले उत्तर भारत के बड़े दर्शक वर्ग को छोड़ने के लिए तैयार हैं। ऐसे में सीमाओं का टूटना लाजमी है।

अल्लू अर्जुन की पुष्पा 2 का दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। फिल्म 15 अगस्त को रिलीज हो रही है। / Image : X@PushpaMovie
  • शुबरना मुकर्जी शू

वर्ष 2023 एक ऐसा साल था जिसने दक्षिण भारतीय फिल्मों और बॉलीवुड (उत्तर भारत) के बीच की सीमाओं को धुंधला कर दिया। और ऐसा लग रहा है कि 2024 इस मामले में एक और कदम आगे जाने वाला है। दक्षिण भारतीय सिनेमा से बॉलीवुड और बॉलीवुड से दक्षिण की फिल्मों में अभिनेताओं की ऐसी बाढ़ आ गई है कि अब आप इस चलन को नजरअंदाज नहीं कर सकते। ऐसे में यदि हम सोचें कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है तो उसका उत्तर कठिन नहीं है। सिनेमा के दर्शक दोनों ओर हैं और बड़ी तादाद में हैं। लिहाजा न उत्तर वाले दक्षिण को और न ही दक्षिण वाले उत्तर भारत के बड़े दर्शक वर्ग को छोड़ने के लिए तैयार हैं। ऐसे में सीमाओं का टूटना लाजमी है। 

तो शुरुआत करते हैं श्रीरामराघवन की नवीनतम 'मेरी क्रिसमस' से। किसने सोचा होगा कि एक समय ऐसा भी आएगा जब कैटरीना कैफ विजय सेतुपति के साथ काम करेंगी? सोचने वाली बात यह है कि यह विजय की बॉलीवुड में पहली पारी भी नहीं है। हमने विजय को शाहरुख के साथ 'जवान' में देखा और सराहा। विजय खुद ही कहते हैं कि शाहरुख और कैटरीना जैसे अभिनेताओं के साथ काम करना उनके लिए एक अनोखा अनुभव है। इसलिए क्योंकि उत्तर-दक्षिण के बीच विभाजन की रेखाएं लंबे समय तक खिंचीं रहीं। 

उत्तर और दक्षिण की दीवार को तोड़ने की पहल करने वाले विजय पहले नायक नहीं हैं। दक्षिण से बॉलीवुड तक अभिनेताओं का इस तरह का परस्पर आना-जाना पहले भी हुआ है। चालबाज जैसी फिल्म को याद कीजिये जिसमें सनी देओल और रजनीकांत दोनों ने दक्षिण और बॉलीवुड दोनों में काम करने वाली श्रीदेवी के साथ रोमांस किया था।

दरअसल, रजनीकांत ने 1980 के दशक में वफादार, गिरफ़्तार, भगवान दादा, हम, आतंक ही आतंक जैसी फ़िल्मों से शुरुआत की थी। उनकी प्रेरणा जाहिर तौर पर कमल हासन थे। कमल ने एक दूजे के लिए, सदमा और सागर आदि जैसी शानदार और आज भी याद रखी जाने वाली फिल्में की थीं। वास्तव में नागार्जुन जिन्हें ब्रह्मास्त्र : भाग एक - शिव में उनकी नंदी शक्ति के साथ देखा गया था उनकी कई बॉलीवुड फिल्में हैं। खुदा गवाह, एलओसी कारगिल, मिस्टर बेचारा, जख्म आदि। और इन सबमें उनकी सबसे लोकप्रिय फिल्म शिवा जिसे हिंदी में डब करके रिलीज किया गया था।

उस समय यह एक बार की डील हुआ करती थी जब कोई अभिनेता आता था और बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाता था। लेकिन उनकी जड़ें भारत के दक्षिण में मजबूती से जमी हुई होती थीं। बदलाव के लिए बॉलीवुड फिल्म करना कुछ अलग करने का उनका तरीका था। जैसे हमारे कई बॉलीवुड अभिनेताओं को महामारी से पहले लॉस एंजिल्स के लिए बस पकड़ते देखा गया था।

लेकिन एस.एस. राजामौली ने अपनी बाहुबली फ्रेंचाइजी से जो पैसा कमाया और एक अभिनेता के रूप में प्रभास को जो प्यार मिला उसने दोनों उद्योगों के लिए एक-दूसरे के दरवाजे खोल दिए। इस लिहाज से एस.एस. राजामौली और प्रभास को पहल करने वाला माना जा सकता है। मगर प्रभास की आदिपुरुष ने ऐसा नहीं किया।

अल्लू अर्जुन और यश जैसे अभिनेता भी बॉलीवुड में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। पुष्पा द राइजिंग ने अल्लू अर्जुन के लिए भाषा की बाधा को तोड़ दिया। अखिल भारतीय सिनेमा को एक प्रतिष्ठित चरित्र दिया और इस साल आने वाला पुष्पा की सीक्वल भी बहुत उम्मीदें जगा चुका है। दूसरी ओर यश ने अपना करियर 2008 में एक कन्नड़ अभिनेता के रूप में शुरू किया लेकिन 2018 में केजीएफ चैप्टर 1 और 2022 में केजीएफ चैप्टर 2 ने सिनेमा की तस्वीर ही बदल डाली। 

केवल पुरुष ही सिनेमा की सीमाओं को पार नहीं कर रहे। अभिनेत्री सामंथा रुथ प्रभु को हमारे समय की सबसे लोकप्रिय अखिल भारतीय अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है। उन्होंने शीर्ष स्थान हासिल करने के लिए आलिया भट्ट, दीपिका पादुकोण और कैटरीना कैफ तक को चुनौती दी। इसके बावजूद कि उन्होंने अब तक बॉलीवुड में डेब्यू नहीं किया है। जवान भले ही विजय सेतुपति के लिए उम्दा रही हो लेकिन इस फिल्म से अभिनेत्री नयनतारा का बॉलीवुड डेब्यू हुआ। इसके तुरंत बाद रश्मिका मंदाना ने बी-टाउन के हॉट अभिनेता रणबीर कपूर के साथ अभिनय किया।

अलबत्ता कई बड़े प्रोजेक्ट ऐसे भी रहे हैं जो हर लिहाज से ऊंचे रहे मगर पैसों की बारिश नहीं हुई। सबसे बड़ा उदाहरण मणिरत्नम की ऐतिहासिक और भव्य पोन्नियिनसेल्वन है। दक्षिण के कई बड़े कलाकारों के साथ ही इसमें ऐश्वर्या राय ने काम किया मगर फिल्म न चली और न फली। लिहाजा पैसों का गणित कई बार फिल्म के साथ ही फ्लॉप हो गया। 

फिलहाल प्राथमिकताएं तो यही बताती हैं कि हमें बॉक्स ऑफिस पर 1000 करोड़ (US$ 120 million) कमाने वाली अधिक फिल्मों की आवश्यकता है। तो क्या पूरे भारत में जाना (पैन इंडिया) ही इसका एकमात्र रास्ता है? शायद! लेकिन आशा करते हैं कि पैसों के गणित को एक तरफ रखते हुए यह पहल हमें ऐसी फिल्में देगी जिन पर हम सभी को गर्व होगा। 

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