जब दुनिया ने अमेरिका के कैलिफोर्निया शहरवासियों को विनाशकारी आग से जूझते देखा तो उसके बाद आने वाले खतरों को लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन समुदाय में चिंता बढ़ गई है। 10 जनवरी को हुए एथनिक मीडिया सर्विसेज ब्रीफिंग में विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया को होने वाले स्वास्थ्य संकटों पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि जलवायु परिवर्तन के कारण संक्रामक रोगों के फैलने की संभावना बढ़ गई है। जलवायु परिवर्तन के कारण रोग वाहकों (वेक्टर) के फैलाव और वितरण में बदलाव आ रहा है, जिससे दुनिया भर के स्वास्थ्य प्रणालियों पर दबाव बढ़ रहा है।
WHO से अमेरिका की वापसी- एक घातक कदम
विशेषज्ञों ने डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका की वापसी को एक विनाशकारी निर्णय बताया। बोस्टन यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑन इमर्जिंग इंफेक्शियस डिजीजेज की संस्थापक निदेशक डॉ. नाहिद भाडेलिया ने कहा, "WHO एक ऐसा मंच है, जहां विभिन्न देश एक-दूसरे के साथ डेटा साझा कर सकते हैं। इससे अलग हो जाना हमें वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा ढांचे से बाहर कर देता है।"
उन्होंने COVID-19 महामारी का उदाहरण देते हुए कहा, "आज जो बीमारी कांगो में है, वह कल कोलोराडो में भी हो सकती है।"
दुनिया के सामने स्वास्थ्य संकट
इस वर्ष जिन संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है, उनमें शामिल हैं-
एवियन फ्लू (बर्ड फ्लू)
नोरोवायरस (विंटर वॉमिटिंग डिजीज)
ह्यूमन मेटाप्नूमोवायरस
ओरोपूचे वायरस
कोविड-19 का जारी खतरा
इसके अलावा, टीकाकरण दरों में गिरावट से काली खांसी (Whooping Cough) और इन्फ्लुएंजा जैसे रोगों में वृद्धि देखी जा रही है।
इन्फ्लुएंजा- सबसे बड़ी चिंता
विशेषज्ञों के अनुसार, इन्फ्लुएंजा सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन सकता है। 3 जनवरी को सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) द्वारा जारी रिपोर्ट में पाया गया कि 2023 की तुलना में इन्फ्लुएंजा के मामले 20% अधिक बढ़ गए हैं। टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. बेंजामिन न्यूमैन ने कहा, "टीकाकरण में कमी हमारे लिए बड़ा खतरा है। 1950 के दशक से हमें 'हर्ड इम्युनिटी' का लाभ मिल रहा था, लेकिन अब वह सुरक्षा खतरे में है।"
ह्यूमन मेटाप्नूमोवायरस और नोरोवायरस का बढ़ता प्रकोप
वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. विलियम शाफनर ने बताया कि ह्यूमन मेटाप्नूमोवायरस कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन इसका प्रसार इस साल चीन, भारत, मलेशिया और कजाखस्तान में तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि, उन्होंने इसे वैश्विक महामारी बनने से इंकार किया।
वहीं, नोरोवायरस, जिसे "विंटर वॉमिटिंग डिजीज" भी कहा जाता है, बेहद संक्रामक है और व्यक्तिगत संपर्क, दूषित वातावरण और कच्चे समुद्री भोजन के माध्यम से फैल सकता है। डॉ. शाफनर ने कहा, "नोरोवायरस के खिलाफ फिलहाल कोई टीका उपलब्ध नहीं है। इसका इलाज सिर्फ शरीर में पानी की कमी को पूरा करने से ही संभव है।"
ओरोपूचे वायरस- एक अनदेखा खतरा
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. पीटर चिन-होंग ने ओरोपूचे वायरस को लेकर चेतावनी दी। यह वायरस 10,000 से अधिक लोगों को दक्षिण अमेरिका में संक्रमित कर चुका है और अमेरिका में अब तक 188 मामलों की पुष्टि हुई है (ज्यादातर यात्रा से जुड़े)।
यह मच्छरों और छोटे कीटों के काटने से फैलता है और गंभीर मामलों में मस्तिष्क ज्वर (एन्सेफलाइटिस) या मेनिनजाइटिस का कारण बन सकता है। डॉ. चिन-होंग ने कहा, "फिलहाल अमेरिका में इसका कोई बड़ा खतरा नहीं दिख रहा, लेकिन दक्षिण अमेरिका और कैरिबियन में इसका विस्फोटक रूप से प्रसार हो रहा है।"
Mpox: अमेरिका में पहला मामला
नवंबर 2023 में सैन फ्रांसिस्को बे एरिया में Mpox का पहला मामला सामने आया। यह वायरस अब तक 50,000 से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है और अफ्रीका में 1,000 से अधिक बच्चों की जान ले चुका है। डॉ. चिन-होंग के अनुसार, जलवायु परिवर्तन और वनों की कटाई इसका प्रमुख कारण हैं।
एवियन फ्लू- सबसे बड़ा वैश्विक खतरा
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, डेविस के डॉ. मॉरिस पिटेस्की ने कहा, "H5N1 वायरस (एवियन फ्लू) अब छह महाद्वीपों में तेजी से फैल रहा है। यह केवल पक्षियों और जानवरों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि अब इंसानों को भी संक्रमित कर रहा है।" उन्होंने आगाह किया कि "अगर यह वायरस म्यूटेट होकर इंसान-से-इंसान में फैलने लगा, तो यह महामारी का रूप ले सकता है।"
खतरे का गलत आकलन और श्रमिकों की अनदेखी
विशेषज्ञों के अनुसार, कृषि, डेयरी और पोल्ट्री उद्योगों में काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों को यह बीमारियाँ तेजी से प्रभावित कर रही हैं। लेकिन भय और संसाधनों की कमी के कारण वे बीमारियों की रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं।
डॉ. नाहिद भाडेलिया ने कहा, "बीमारियों के प्रसार की कोई निश्चितता नहीं है—कहां, कब और किस रूप में यह सामने आएगी, यह कहना मुश्किल है।" उन्होंने यह भी कहा कि इन बीमारियों का असर चिकित्सा आपूर्ति और एंटीबायोटिक्स के उपयोग पर भी पड़ रहा है।
स्वास्थ्य संकट और जलवायु परिवर्तन का गहरा संबंध
विशेषज्ञों की चेतावनी स्पष्ट है—जलवायु परिवर्तन से संक्रामक रोगों का प्रसार तेज हो रहा है।
टीकाकरण को बढ़ावा देना
सतर्क निगरानी और रिपोर्टिंग
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
यदि इन मुद्दों पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो अगले कुछ वर्षों में यह संकट और गंभीर हो सकता है।
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