ऐसा अक्सर नहीं होता है कि 16 साल की कोई लड़की सुर्खियों में आती है, अविश्वसनीय सफलता से अभिभूत हो जाती है और फिर सब कुछ एक आकर्षक राजकुमार के लिए छोड़ देती है। लेकिन आकर्षक जीवन ही एकमात्र ऐसी चीज नहीं जो हर राजकुमारी चाहती है। कुछ लोग राजकुमार से भी अधिक स्वाभिमान चाहते हैं। तो कुछ ऐसे ही जीवन का तानाबाना है डिंपल कपाड़िया का।
कई लोगों के लिए डिंपल कपाड़िया की जिंदगी किसी परी कथा से कम नहीं लगती होगी। व्यवसायी चुन्नीभाई और बेट्टी कपाड़िया के घर जन्मी डिंपल छोटी उम्र से ही अभिनेत्री बनने की आकांक्षाओं के साथ सुंदरता का प्रतीक रही हैं। कहा जाता है कि चुन्नीभाई ने ऐसा करने के लिए कड़ी मेहनत की मगर बड़े ब्रेक का श्रेय केवल और केवल राज कपूर को जाता है जिन्होंने उन्हें फिल्म बॉबी की मुख्य भूमिका में लॉन्च किया। यह हैरानी की बात इसलिए है क्योंकि बॉबी में उनके बेटे ऋषि कपूर भी अभिनय कर रहे थे। और यह ऋषि की भी डेब्यू फिल्म थी।
बेहद कम उम्र में डेब्यू करते हुए कोई भी चकित हुए बिना नहीं रह सकता। इसलिए कि क्या उसे उस अवसर की गंभीरता का एहसास था जो उसे मिला था। और ऐसा भी नहीं है कि भूमिका यूं ही उनकी झोली में आ गिरी हो। प्रतिस्पर्धा कड़ी थी! लेकिन डिंपल कपाड़िया को अपनी पहली फिल्म की सफलता का स्वाद नहीं मिला। अपनी पहली फिल्म की रिलीज से काफी पहले एक फ्लाइट में डिंपल के साथ ऐसा इत्तेफाक हुआ जिसने उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल दी।
किशोर सनसनी के बगल में कोई और नहीं बल्कि सदी के सुपरस्टार राजेश खन्ना बैठे थे। उन्हें यूं ही बॉलीवुड के दिल की धड़कन नहीं कहा जाता था। राजेश खन्ना की प्रतिष्ठा इसके साथ जुड़ी हुई थी। महिलाएं तो उसके प्यार में पागल थीं। यहां तक कि जो महिलाएं किशोरावस्था पार कर चुकी थीं उनका ध्यान भी राजेश खन्ना के नाम के मात्र उल्लेख से ही विचलित हो जाता था। उस वक्त उनकी तस्वीरों से महिलाएं शादी कर रही थीं।
बेशक, खन्ना का करिश्मा और उनकी चुप्पी परेशान करने वाली थी लेकिन जब उन्होंने आखिरकार बोला, तो उसे सुनकर डिंपल हैरानी के साथ बेचैन हो उठीं। सुपरस्टार ने उन्हें खबर दी कि वे जल्द ही शादी करेंगे। और इस तरह बॉबी गर्ल मिसेज राजेश खन्ना बन गईं। हर लड़की डिंपल की किस्मत से ईर्ष्या करने लगी। हालांकि एक समय उन्हे शहर का हर लड़का प्यार करता था लेकिन अचानक डिंपल को एक अवसरवादी के रूप में देखा जाने लगा जिसने एक सुपरस्टार के रूप में सब से 'सोने का संदूक' छीन लिया था।
हालांकि उस व्यक्ति पर कोई उंगली नहीं उठाई गई जो उससे लगभग दोगुनी उम्र का था और उसने एक किशोर लड़की से शादी की। मिसेज राजेश खन्ना होना उनके लिए अफवाहों से लड़ने या मीडिया को अपनी बात बताने के लिए बहुत बड़ी बात थी। सब बीत रहा था और डिंपल अपने आस-पास क्या हो रहा था उससे बेखबर थीं।
मगर बहुत बाद में, जब वह अपनी दो बेटियों के साथ खन्ना के घर से बाहर चली गईं, वह एक ऐसी पत्नी बनने के लिए तैयार नहीं थीं जो अपने पति के सभी 'परोपकारी' तौर-तरीकों से आंखें मूंद लेती है। तब उसने मीडिया से अपनी जल्दबाजी में की गई शादी के बारे में बात की। डिंपल ने स्वीकार किया कि अपनी शादी के लगभग तुरंत बाद ही उन्हे अपनी 'बर्बादी' का अहसास हो गया था। सुपरस्टार के साथ जीवन कभी भी आसान नहीं था और न ही सब कुछ छोड़कर नए सिरे से शुरुआत करना। लेकिन डिंपल ने बाद की राह चुनी।
डिंपल की वापसी ने महिलाओं के लिए 'कांच की छत' तोड़ दी थी। हिंदी फिल्म की नायिकाओं को नायकों जितनी आजादी नहीं थी। फिर भी, उन्होंने इस लोकप्रिय धारणा को नजरअंदाज कर दिया कि दर्शक एक विवाहित अभिनेत्री को स्वीकार नहीं करते हैं। जो दो बेटियों की मां भी है।
सब कुछ आसान नहीं था। वापसी के बाद उनकी पहली फिल्म जख्मी शेर (1984) की असफलता के बाद उनका करियर निराशाजनक लग रहा था। फिर अचानक सब कुछ बदल गया। बॉबी के सह-कलाकार ऋषि कपूर के साथ 'सागर' नामक एक प्रेम त्रिकोण ने उनके करियर को फिर से जिंदा कर दिया। कुछ ही समय में डिंपल ने मुकुल आनंद की फिल्म 'इंसाफ' (1987) में दोहरी भूमिका के साथ जोरदार वापसी की।
इंसानियत के दुश्मन और जख्मी औरत जैसी व्यावसायिक रूप से सफल फिल्मों ने उन्हे और स्थापित किया। उन्होंने जो काम 70 के दशक में शुरू किया था उसे 80 के दशक में पूरा किया। वह अपने समय की शीर्ष अभिनेत्रियों में शुमार हुईं।
वह उन कुछ अभिनेत्रियों में से एक हैं जिनकी जोड़ी धर्मेंद्र और सनी देओल (पिता-पुत्र) के साथ रोमांटिक रूप से बनी। उन्होंने बटवारा, शहजादे, दोस्त दुश्मन... में धर्मेंद्र के साथ और अर्जुन तथा नरसिम्हा जैसी सफल व्यावसायिक फिल्मों में सनी के साथ स्क्रीन साझा किया।
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