चार साल पहले अमेरिका, कनाडा और यूके में जब रोजगार के अवसर सीमित होने लगे थे, तब भारतीय खासकर पंजाब के युवा ग्रीस का रुख करने लगे थे। वहां उन्हें उम्मीदों का नया संसार दिख रहा था। लेकिन इनमें से अधिकतर अवैध ट्रैवल एजेंटों के चंगुल में फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर बैठे। इसी को देखते हुए भारतीय मूल के एक कारोबारी ने मदद का अनोखा मिशन शुरू किया।
दुबई स्थित परोपकारी सुरिंदर पाल सिंह ओबेरॉय एक धर्मार्थ संस्था सरबत दा भला ट्रस्ट (एसडीबीटी) चलाते हैं। ग्रीस में पंजाबी युवाओं की दुर्दशा देखकर इन्होंने वहां भी अपने ट्रस्ट का कार्यालय खोला। इसका उद्देश्य पकड़े गए भारतीय युवाओं को वापस लाना है। ये युवा अक्सर सुनहरे सपनों के झांसे में आकर बिना उचित दस्तावेजों के ग्रीस पहुंचा दिए जाते हैं। लेकिन वहां जाकर वे कानूनी एजेंसियों के चंगुल में फंस जाते हैं।
सुरिंदर पाल बताते हैं कि लगभग 12 हजार अवैध प्रवासियों में से 8 हजार से ज्यादा जेल में हैं। बहुत से युवा जेल की यातनाएं सह नहीं पाते और दम तोड़ देते हैं। उनके परिजन आर्थिक मजबूरियों की चलते उनके शवों को वापस भारत ले जाने में सक्षम नहीं होते। हम ऐसे लोगों की मदद करते हैं और उनके शवों को पंजाब तक पहुंचाते हैं। इतना ही नहीं, हमारी संस्था ऐसे युवाओं के परिजनों के खाते में पैसा भी जमा कराती है ताकि उनकी मदद हो सके।
ग्रीस में भारतीय राजदूत रुद्रेंद्र टंडन बताते हैं कि परोपकारी सुरिंदर पाल सिंह की मदद से यूएई के विभिन्न शहरों से अब तक लगभग 350 शवों को पंजाब पहुंचाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि हमने 21 सदस्यीय समिति बनाई है, जो ग्रीस की जेलों में बंद युवाओं की जानकारी जुटाकर हमें देती है।
उन्होंने बताया कि अवैध रूप से ग्रीस पहुंचने वालों में सिर्फ पंजाबी युवक ही नहीं होते बल्कि बड़ी संख्या में युवतियां भी जाती हैं। लेकिन वहां जाकर इन्हें न तो नौकरी मिलती है और न ही इनका उद्देश्य पूरा होता है। ऐसे में ये लड़कियां गलत हाथों में पड़कर अपनी जिंदगी खराब कर लेती हैं।
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